बालाघाट जिले को क्यों कहा जाता है पहाड़ जंगल तांबे की धरती, 5 बातें जो चौंका देंगी
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बालाघाट जिले को क्यों कहा जाता है पहाड़ जंगल तांबे की धरती, 5 बातें जो चौंका देंगी

MP Top Five: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले का इतिहास पुराना है. क्या आप जानते हैं कि इस जिले को बारहसिंघा का घर भी कहा जाता है, बालाघाट जिले की रोचक बातें सबको चौंका देती हैं. 

बालाघा जिले का इतिहास
बालाघा जिले का इतिहास

Balaghat News: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले को पहाड़, जंगल और तांबे की धरती कहा जाता है. इस जिले का इतिहास बहुत पुराना है और इसकी अपनी कई खासियतें भी हैं. यह जिला मध्य प्रदेश की बॉर्डर को छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के साथ शेयर करता है. यहां आपको घूमने फिरने के साथ-साथ कई खास बातों की जानकारी मिलती है जो बालाघाट जिले के दूसरे जिलों से अलग बनाती है. 

कैसे पड़ा नाम 

बालाघाट जिले का नाम सुनकर सबसे पहले लोगों के जहन में यही सवाल आता है कि इस जिले के नाम बालाघाट क्यों रखा गया है. दरअसल, बालाघाट जिला चारों तरफ से जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. यहां पहाड़ियों के 'बारह घाट' हैं, जिसके चलते इसे बालाघाट के नाम से जाना जाता है. 

दो राज्यों से जुड़ती है सीमा 

बालाघाट जिला मध्य प्रदेश के महाकौशल रीजन में आता है और यह जिला दो अहम राज्यों के साथ मध्य प्रदेश की सीमा तय करता है. बालाघाट की सीमा महाराष्ट्र के गोंदिया और छत्तीसगढ़ के बस्तर से लगती है. जबकि यह जिला एमपी के छिंदवाड़ा, मंडला और डिंडौरी से जुड़ा हुआ है. 

खनिज का भंडार 

बालाघाट जिला मध्य प्रदेश में खनिज का भंडार का भंडार माना जाता है, आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां मलजखंड एरिया में मौजूद तांबें की खान एशिया की सबसे बड़ी खानों में शामिल है. इसके अलावा इस जिले में बॉक्साइट, कानाइट और मैंगनीज भी बड़ी मात्रा में पाया जाता है. 

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जंगल से घिरा 

बालाघाट को इसलिए भी जंगल की धरती कहा जाता है क्योंकि यह जिला 50 से 52 प्रतिशत तक जंगलों से घिरा हुआ है. यहां जानवर भी बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं. बालाघाट बारासिंगा का तो घर कहा जाता है, जबकि यहां आपको भैंसा, हिरण, नीलगाय जैसे जानवर भी देखने को मिलते हैं. 

चिन्नौर चावल

देश में कई चावल की कई किस्में पाई जाती हैं, लेकिन अगर आप चिन्नौर चावल के शौकीन है तो फिर आपको मध्य प्रदेश के बालाघाट आना होगा, क्योंक बालाघाट जिले को चिन्नौर चावल के लिए जीआई टैग मिला हुआ है, 2021 में बालाघाट जिले को यह सम्मान मिला था. 

बालाघाट का खान पान 

बालाघाट जिला आदिवासी बहुल जिला माना जाता है, ऐसे में यहां के खान पान में आपको आदिवासी परंपराओं का आनंद मिलता है. यहां के गन्ने का रस सबसे शानदार माना जाता है, जबकि पुरपुटा की सब्जी बालघाट में सबसे फेमस होती है. सुरन की करी भी यहां बहुत प्रसिद्ध है. वहीं महाराष्ट्र से जुड़ा होने की वजह से यहां पौरनपौली भी बहुत खास मानी जाती है. 

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