MP Maize Farming: जून-जुलाई महीने में जब मानसून की पहली बारिश होती है, तब मक्के की बुआई का सही समय माना जाता है. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में खासकर सागर जिले में किसान मक्का की खेती की तरफ ज्यादा रुख अपना रहे हैं. यहां की जलवायु और मिट्टी इस फसल के लिए अनुकूल मानी जाती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी होता है. आइए जानते हैं कि यहां के किसानों के लिए मक्की की सबसे अच्छी किस्में कौन-कौन सी हैं.
आजकल बाजार में मक्का की कई किस्में आ रही है, लेकिन उत्पादन की बात करें तो कुछ वैरायटी ऐसी हैं जो प्रति एकड़ 25 से 27 क्विंटल तक उपज दे देती हैं. खास बात यह है कि इन किस्मों की बुआई के लिए केवल 6 किलो बीज ही काफी होता है, जिससे बीज पर खर्च भी कम आता है.
सागर और बुंदेलखंड क्षेत्र की काली और दोमट मिट्टी वाले खेतों के लिए ‘बायर 9126’ मक्के की एक बेहतरीन वैरायटी मानी जा रही है. यह किस्म न सिर्फ अच्छी उपज देती है बल्कि इसमें रोगों से लड़ने की भी ताकत होती है. कई किसान जो पहली बार मक्का बो रहे हैं, उनके लिए भी यह किस्म भरोसेमंद साबित हो रही है.
कृषि एक्सपर्ट एस.एन. पटेल का कहना है कि किसान भाइयों को नकली बीज से सावधान रहने की जरूरत हैं. अक्सर देखा जाता है कि हाइब्रिड बीज के नाम पर बाजार में नकली बीज बेचे जा रहे हैं, जिससे उपज नहीं होती और लागत भी नहीं निकल पाती है. हमेशा बीज का क्यूआर कोड स्कैन करके ही खरीदारी करें.
बुआई से पहले खेत की गहरी जुताई करना बहुत जरूरी माना जाता है. इसके बाद 10 से 15 दिन तक खेत को खाली छोड़ देना चाहिए ताकि बारिश का पहला पानी खेत में अच्छे से बैठ सके. बुआई तभी करें जब कम से कम 4 इंच बारिश हो जाए. बीज बहुत गहराई में नहीं बोना है, बल्कि उथली बुआई करनी है ताकि अंकुरण सही हो. (PC: Meta AI)
बुआई के समय डीएपी खाद मिलाना फायदेमंद रहेगा. वहीं जब पौधे 15 से 25 दिन के हो जाएं, तब सल्फर और जिंक युक्त खाद देना चाहिए. यह फसल 100 से 115 दिनों में तैयार हो जाती है और ज्यादा पानी की जरूरत भी नहीं पड़ती, जिससे सूखा क्षेत्र वाले किसानों के लिए यह और भी लाभकारी बन जाती है.
प्रदेश के किसानों के बीच प्रोएग्रो 4212, डेकलब 900एम गोल्ड, रासी 4212 और चक्यूपीएम-1 जैसी किस्मों की काफी मांग है. ये किस्में उत्पादन, रोग प्रतिरोध और कम पानी में भी अच्छे नतीजे देने के लिए जानी जाती हैं. जो किसान पहली बार मक्का बो रहे हैं, उन्हें आसपास के अनुभवी किसानों से सलाह लेकर ही आगे बढ़ना चाहिए. (सोर्सः न्यूज18)
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