Ashwagandha Farming Tips: भारत एक कृषि प्रधान देश है. कई प्रदेशों में बड़े पैमाने पर खेती-बाड़ी की जाती है. ऐसा ही एक राज्य मध्य प्रदेश है, जहां पर ज्यादातर लोग खेती पर आधारित हैं. आइए आज हम आपको एक ऐसे किसान से मिलवाने जा रहे हैं, जो इस जड़ी बूटी की खेती कर अच्छी कमाई कर रहा है.
दरअसल, हम सीहोर जिले के किसान विनोद विश्वकर्मा की कर रहे हैं, जो कि शेखपुरा गांव में रहते हैं. उन्होंनें अश्वगंधा की खेती कर लगभग 30 हजार रुपए प्रति क्विंटल कमा रहे हैं. जो कि परंपरागत खेती के मुकाबले तीन गुना ज्यादा प्रॉफिट है.
आपको बता दें कि किसान विनोद ने बताया कि तीन साल पहले गेंहू की फसल उगाते थे, लेकिन बढ़ती लागत, कीटों का प्रकोप, मौसम की अनियमितताओं के चलते कमाई फीकी पड़ गई थी. प्रति एकड़ के हिसाब से औसतन लगभग 37 हजार रुपए इनकम हो पाती थी. जिसमें खर्चा हटाकर लगभग 25 से 26 हजार रुपए बच पाता था.
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की फसल विविधीकरण योजना के तहत औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा देने की जानकारी मिली, तो 2022 में उन्होंने इसके तहत ITC चौपाल सागर की टीम से मार्गदर्शन लिया तो, आधा एकड़ खेत में अश्वगंधा की फसल लगाई.
उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे खेती को बढ़ाकर ढाई एकड़ तक पहुंचा दिया, जिसमें एक एकड़ खेत से लगभग 5 से 6 क्विंटल अश्वगंधा की पैदावार हो जाती है. इसकी बाजार में कीमत 30 से 35 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिक जाता है.
किसान विनोद ने कहा इसकी खेती करने में लगभग 15 हजार रुपए का खर्चा आता है. खर्चा काटकर लगभग 4 लाख रुपए से ज्यादा कमाई हो जाती है. आगे बताया कि अगले सीजन में 5 एकड़ में खेती करने की योजना बना रहे हैं. इसके अलावा, आसपास के किसानों को भी औषधीय फसल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
किसान का कहना है कि एक बार नीमच मंडी में फसल बेचने के लिए गए थे, लेकिन सीहोर की मंडी में भाव की जानकारी ली, तो मुझे ज्यादा अंतर नहीं देखने को मिला. उस लिए अश्वगंधा की फसल को लोकल मंडी में ही इसे बेच देते हैं. उन्होंने कहा कि अश्वगंधा की उपज (जड़) में जितना ज्यादा पाउडर निकलता है, उतनी ही अच्छी कीमत मिलती है.
अश्वगंधा, एक जड़ी बूटी है, जिसका आयुर्वेद में काफी महत्व माना जाता है. इसका भारतीय चिकित्सा प्रणाली में काफी उपयोग किया जाता है. इसकी जड़ों से निकलने वाले पाउडर को आयुर्वेद, यूनानी दवाइयों को बनाने में किया जाती है. इसी वजह से परंपरागत फसलों की वजाय, इसके दाम अच्छे मिल जाते हैं. (सोर्सः भास्कर)
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