Kerosene-Powered Refrigerator: भीषण गर्मी का समय चल रहा है. गर्मी के कारण इन दिनों बाजारों में फ्रिज और एसी की डिमांड बढ़ गई है. लेकिन क्या आपको पता है कि मध्य प्रदेश के सागर में एक ऐसा फ्रिज है, जो बिजली या इनवर्टर की बैटरी या फिर सोलर से नहीं चलता है, बल्कि वो मिट्टी के तेल (करोसिन) से चलता है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्या सच में ऐसा फ्रिज आज के जमाने में है तो चलिए जानते हैं यह फ्रिज सागर जिले में कहां रखा हुआ है.
दरअसल, सागर जिल में स्थित डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय गौरवशाली इतिहास को आज भी संजोए हुए हैं. इस यूनिवर्सिटी के संग्रहालय में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उपयोग में लाए गए दुर्लभ चिकित्सा उपकरणों को सहेज कर रखा गया है. इन्हीं दुर्लभ चीजों में है केरोसिन से चलने वाला फ्रिज.
सागर यूनिवर्सिटी के संग्रहालय में रखा यह फ्रिज किसी सोलर पावर या बिजली से नहीं चलता था, बल्कि वह केरोसिन से चलता था. जो आज से करीब 100 साल पुराना है. खास बात यह है कि इस फ्रिज को आज भी ऐसे ही गौर संग्रहालय में स्थापित मेडिकल म्यूजियम में रखा गया है.
करोसिन स चलने वाले इस फ्रिज उस जमाने का है, जब बिजली का अविष्कार हो चुका था. लेकिन उस समय बिजली की उपलब्धता बहुत सीमित थी. जहां पर थी भी वहां भी बिजली आपूर्ती लगातर नहीं मिल पाती थी. इस वजह से केरोसिन से चलने वाले इस अनोखे फ्रिज का अविष्कार किया गया.
केरोसिन से चलने वाले इस फ्रिज का उपयोग आवश्यक दवाओं और अन्य संवेदनशील वस्तुओं को ठंडा रखने के लिए किया जाता था. यह फ्रिज उस जमाने में चिकिस्ता जगह के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी.
गौरतलब है कि सागर विश्विवद्यालय की स्थापना आजादी से ठीक एक वर्ष पहले 1946 में हुई थी. उसी दौरान यूनिवर्सिटी कैंपस में एक अस्पताल भी बनाया गया था. हॉस्पिटल में उपयोग होने वाली ठंडे तापमान पर सुरक्षित रखने वाली दवाओं को इसी फ्रिज में रखा जाता था. इस फ्रिज को आज भी सागर यूनिवर्सिटी में संजो कर रखा गया है.
भले की आज के इस आधुनिक जमाने में अस्पताल में उपयोग होने वाली ठंडे तापमान पर सुरक्षित रखने वाली दवाओं को इसी फ्रिज में रखा जाता था. लेकिन सागर यूनिवर्सिटी के संग्रहाल में रखा केरोसिन से चलने वाला यह फ्रिज कनीक के इतिहास की एक बेशकीमती विरासत है.
अब आप सोच रहे होंगे कि केरोसिन से चलने वाला फ्रिज आखिर ठंडा कैसे करता होगा तो चलिए जानते हैं. दरअसल, Quora पर मिली जानकारी के मुताबिक, केरोसिन फ्रिज यानी मिट्टी से चलने वाले फ्रिज में पानी, अमोनिया और हाइड्रोजन गैस रखने वाली नलियों और कक्षों का एक सीलबंद नेटवर्क होता है. प्रोपेन की लौ पानी और अमोनिया के घोल वाले कक्ष को तब तक गर्म करती है जब तक कि तरल उबल न जाए. अमोनिया गैस दूसरे कक्ष, कंडेनसर में ऊपर उठती है, जहां यह वापस तरल में ठंडी हो जाती है फिर यह वाष्पक में प्रवाहित होती है, जहां यह हाइड्रोजन गैस के साथ मिल जाती है. इसी के साथ दोनों के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया गर्मी को अवशोषित करती है. इसी तरह से प्रोपेन फ्रिज अपनी शीतलन क्रिया उत्पन्न करता है. जैसे ही अमोनिया-हाइड्रोजन मिश्रण गर्मी को अवशोषित करता है, अमोनिया फिर से गैस बन जाता है. इस तरह से करोसिन से चलने वाले फ्रिज के ठंडक की प्रकिया शुरू होती है.
(सोर्स- एनडीटीवी)
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