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मध्य प्रदेश में कहां है जहाज वाला मंदिर? देखिए पानी में तैरने का अद्भुत दृश्य

Mandsaur Unique Temple: आपने देश दुनिया में कई ऐसे मंदिर आंखो से देखा या सुना होगा, जो अपने चमत्कार या बनावट को लेकर फेमस रहता है. लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, उसे आपने शायद ही देखा होगा. क्योंकि यह मंदिर पानी में चलता फिरता है. जो जहाज पर बनाया गया है. आइए जानते हैं जहाज वाले इस मंदिर के बारे में...

पहला ऐसा मंदिर

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पहला ऐसा मंदिर

दरअसल, मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के सीतामऊ में एक ऐसा अद्भुत जैन मंदिर आकार ले चुका है, जो न केवल अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी अनूठी संरचना के लिए भी देशभर में चर्चा का विषय बन गया है. यह मंदिर, जो एक विशाल जहाज की आकृति में निर्मित है, प्रदेश का पहला ऐसा जैन मंदिर है, जिसने आस्था और कला के संगम का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है. राजस्थान के कुशल 20 कारीगरों की वर्षों की अथक मेहनत और सैकड़ों मजदूरों के समर्पण का परिणाम यह भव्य संरचना 17 वर्षों के लंबे समय अंतराल में पूर्णता को प्राप्त हुई है.

 

2008 में शुरु हुआ था काम

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2008 में शुरु हुआ था काम

सीतामऊ, जिसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, के ग्राम लदूना रोड पर स्थित श्री सिद्धाचल धाम जहाज मंदिर का निर्माण वर्ष 2008 के आसपास प्रारंभ हुआ था. मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पारसमल भंडारी, सचिव डॉ. अरविंद जैन और कोषाध्यक्ष प्रदीप बोहरा सहित अन्य सदस्यों की दूरदृष्टि और समर्पण ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को साकार रूप दिया. भूमिपूजन के बाद से ही मंदिर के भव्य निर्माण का कार्य अनवरत रूप से चलता रहा, जिसमें सैकड़ों मजदूरों ने लंबे समय तक अथक परिश्रम करके इसे एक वास्तविक जहाज की आकृति प्रदान की.

 

गर्भगृह में विराजमान है ये प्रतिमा

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गर्भगृह में विराजमान है ये प्रतिमा

इस अनूठे जहाज मंदिर की कल्पना और निर्माण में कमल के फूल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, इस भव्य संरचना को कमल के फूल के ऊपर बनाया गया है, जो जैन धर्म में पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है. मुख्य शिखर के अलावा, मंदिर में 12 छोटे शिखर भी स्थापित किए गए हैं, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं. मंदिर के गर्भगृह में भगवान आदिनाथ जी और पार्श्वनाथ जी के साथ-साथ छह अन्य देव व देवियां भी विराजमान हैं, जिनकी मनमोहक मूर्तियां श्रद्धालुओं को शांति और श्रद्धा का अनुभव कराती हैं.

 

दूर-दूर से आ रहें श्रद्धालु

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दूर-दूर से आ रहें श्रद्धालु

मंदसौर जिले के सीतामऊ क्षेत्र में निर्मित यह जहाज मंदिर न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि पड़ोसी राज्य राजस्थान में भी अपनी अनूठी पहचान बना चुका है. यह राजस्थान के जालौर जिले के बाद इस प्रकार की भव्य संरचना वाला दूसरा मंदिर है. मंदिर की कलात्मकता और आध्यात्मिक महत्व के कारण, दूर-दूर से भक्त इसके दर्शन के लिए खिंचे चले आ रहे हैं. मंदिर ट्रस्ट को उम्मीद है कि आने वाले समय में यह मंदिर जैन धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में उभरेगा.

 

रहने खाने की भी व्यवस्था

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रहने खाने की भी व्यवस्था

श्रद्धालुओं की सुविधा और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, मंदिर परिसर में भोजनशाला और धर्मशाला का भी निर्माण करवाया गया है. इससे दूर से आने वाले भक्तों को ठहरने और भोजन करने में आसानी होगी, जिससे वे शांतिपूर्वक दर्शन और आराधना कर सकेंगे. मंदिर ट्रस्ट का यह प्रयास न केवल धार्मिक महत्व को बढ़ावा देगा, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन को भी आकर्षित करेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलेगा.

 

3000 साल पुरानी प्रतिमा

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3000 साल पुरानी प्रतिमा

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में 17 सालों में तैयार हुआ भव्य जहाज मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है. जहाजनुमा इस मंदिर के आसपास के क्षेत्र में स्थित बाउंड्री में पानी का कलर किया जा रहा है. पानी में चलते- फिरते मंदिर में विराजमान प्रतिमा लगभग 3000 साल पुरानी है.

 

2008 में प्रारंभ हुआ था कार्य

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2008 में प्रारंभ हुआ था कार्य

मंदसौर जिले के छोटी काशी कही जाने वाली सीतामऊ के ग्राम लदूना रोड पर श्री सिद्धाचल धाम जहाज मंदिर का निर्माण करीब 2008 में प्रारंभ हुआ था. यहां पर नाकोड़ा पार्श्व नाथ की चमत्कारिक मूर्ति स्थापित है. इस मंदिर में आने से भक्तों को असीम शांति प्राप्त होती है

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