Unique Traditions of MP- मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज में आज भी कई तरह की परंपराएं जीवित है. इन परंपराओं को पीढ़ी दर पीढ़ी आदिवासी समाज के लोगों ने आगे बढ़ाया है, यही वजह है कि ये परंपराएं आज भी जीवित हैं और इनका निर्वहन होता है. ऐसी ही एक अनोखी परंपरा के बारे में हम आपको बताएंगे, जिसमें पुरुषों के डांस करने पर बैन लग जाता है.
Unique Traditions MP -आदिवासी समाज की इस अनोखी परंपरा का नाम है 'डंडार विदाई'. डंडार विदाई परंपरा के तहत इसकी विदाई के बाद पुरुष करीब 8 महीनों तक डांस नहीं कर सकते हैं. यह परंपरा पीढ़ियों से चलती आ रही है.
आसान भाषा में कहे तो इस पंरपरा के तहत पुरुषों पर डंडार नृत्य करने पर प्रतिबंध लग जाता है. वहीं आदिवासी महिलाओं को डांस करने की परमिशन मिलती है. फागुन के पर्व से महिलाओं का फागुन डांस शुरू होता है, जो एक महीने तक चलता है.
परंपरा के तहत गांव के भगत भुमका गायकी और पुरुष वर्ग जिसमें युवा भी शामिल होते हैं, सभी मिलकर डंडार बनाते हैं. इसके बाद क्षेत्र के 3 से 5 बाजारों में जाकर डंडार नृत्य करते हैं. बाजार में घूम-घूमकर दुकानदारों से सहयोग एकत्रित करते हैं.
वहीं इस सहयोग में इकट्ठा हुई सामग्री से सामूहिक भोज और पूजन की व्यवस्था की जाती है. इसके बाद अपने क्षेत्र की खेड़ापति माता मंदिर में पहुंचकर विधिविधान से पूजा पाठ कर डंडार की विदाई दी जाती है.
डंडार विदाई के साथ ही पुरुषों पर डांस करने पर प्रतिबंध लागू हो जाता है. ये पाबंदी जुलाई के महीने तक लागू रहती है. फिर अखाड़ी पर्व पर विधि-विधान से पूजा कर डंडार को दोबारा शुरू किया जाता है. इस शुरूआत के साथ पुरुषों के नाचे पर लगा प्रतिबंध हट जाता है.
अखाड़ी पर्व पर पूजा-अर्चना कर पुरुष डंडार लेकर नाचना शुरू कर देते हैं. तो वहीं इस दौरान अखाड़ी पर्व पर महिलाओं के डांस पर प्रतिबंध लग जाता है. इस पंरपरा के तहत महिलाओं-पुरूषों पर कुछ समय के लिए एक प्रकार से प्रतिबंध लगाया जाता है.
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