बजती है घंटी, सुनाई देती है चलने की आवाजें.... यूपी के इस मंदिर में रोज अश्वत्थामा करते हैं पूजा, सदियों पुराना है स्वयंभू शिवलिंग का इतिहास!
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बजती है घंटी, सुनाई देती है चलने की आवाजें.... यूपी के इस मंदिर में रोज अश्वत्थामा करते हैं पूजा, सदियों पुराना है स्वयंभू शिवलिंग का इतिहास!

Hamirpur News: उत्तर प्रदेश में महादेव के कई अनोखे मंदिर हैं, जो अलग-अलग धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मान्यता है कि प्रतिदिन रात्रि में स्वयं अश्वत्थामा शिवलिंग की पूजा करने आते हैं

Ashwatthama worship Lord Shiva Shivling
Ashwatthama worship Lord Shiva Shivling

Hamirpur News/संदीप कुमार:  सावन मास के दूसरे सोमवार को हमीरपुर जिले के सभी शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. 'हर हर महादेव' और 'ॐ नमः शिवाय' के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा. श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना करने और रुद्राभिषेक हेतु बेलपत्र, जल, और दूध लेकर मंदिर पहुंचे. मान्यता है कि श्रावण मास में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल प्रदान करते हैं.

हमीरपुर मुख्यालय के पास यमुना नदी तट पर स्थित प्राचीन संघमहेश्वर धाम (संगमेश्वर मंदिर) में अलसुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं. यह मंदिर स्वयंभू शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, जिसके बारे में एक चमत्कारी कथा प्रचलित है.

हजारों वर्षों पुराना है स्वयंभू शिवलिंग का इतिहास
किंवदंती के अनुसार, कई वर्षों पहले एक ग्वाला हर दिन अपनी गाय को चराने ले जाता था. एक दिन उसने देखा कि उसकी एक गाय नदी पार कर झाड़ियों में चली जाती है और वहाँ अपने आप दूध अर्पित कर वापस लौट आती है. यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा. जब ग्वाले ने पीछे-पीछे जाकर देखा तो झाड़ियों में स्थित एक स्वयंभू शिवलिंग पर गाय दूध अर्पित कर रही थी. ग्वाले ने इस रहस्य को जानने के लिए झाड़ियों पर प्रहार किया, जिससे शिवलिंग खंडित हो गया और वहां से दूध और रक्त की धार बहने लगी. इस चमत्कारी घटना से व्यथित होकर ग्वाले ने पश्चाताप स्वरूप वहाँ मंदिर बनवाया, जो आज संघमहेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है.

रात्रि में अनहोनी गतिविधियों की होती है अनुभूति
संघमहेश्वर धाम के पुजारी त्रिभुवन दास जी महाराज बताते हैं कि यह स्थान अत्यंत रहस्यमयी है. यह मंदिर चंदन के बाग, पाताल लिंग और श्मशान भूमि के संगम स्थल पर स्थित है, जिसे ज्योतिष और पुराणों में विशेष महत्व प्राप्त है. पुजारी के अनुसार, रात्रि के 11 बजे से 3 बजे के बीच मंदिर में रहस्यमयी गतिविधियां होती हैं. इस समय बिना किसी के मौजूद होने के मंदिर में घंटे बजते हैं, पदचाप की आवाजें आती हैं, और ऐसा प्रतीत होता है कि कोई पूजन कर रहा है.

चिरंजीवी अश्वत्थामा के आने की मान्यता
मंदिर से जुड़े संतों और पुजारियों के अनुसार, ऐसी मान्यता भी है कि चिरंजीवी अश्वत्थामा स्वयं इस मंदिर में रात्रि के समय आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं. मंदिर में अगली सुबह जल, पुष्प, बेलपत्र आदि पूजन के चिह्न पाए जाते हैं, जबकि रात्रि में कोई नहीं देखा जाता.

प्रशासन ने की विशेष व्यवस्था
सावन के सोमवार को देखते हुए जिला प्रशासन ने पहले ही मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था के लिए इंतजाम कर दिए थे. पुलिस बल तैनात किया गया ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो.

संघमहेश्वर धाम में आज का दिन शिव भक्ति, चमत्कार और आस्था से परिपूर्ण रहा, जहां हजारों श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य भगवान शिव का जलाभिषेक कर पुण्य लाभ प्राप्त किया.

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