Cloud Burst In Uttarkashi: उत्तरकाशी में बादल फटा या फिर किसी अन्य कारण से ये भयानक हादसा हुआ? जियोलॉजिस्ट हादसे की वजह कुछ और मान रहे हैं. धराली हादसे की असल वजह का खुलासा हुए
Trending Photos
राम अनुज/Uttarkashi Dharali Disaster: उत्तराखंड के उत्तरकाशी धराली में आई भीषण आपदा के पीछे के कारणों की कुछ एक्सक्लूसिव तस्वीर सामने आई हैं. भूटान में PHP-1 के वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट इमरान खान ने उस ग्लेशियर डिपोजिट स्लाइड की तस्वीरें शेयर की हैं.आइए जानते हैं...
धराली हादसे की असल वजह क्या!
थ्योरी-1 भूटान में PHP-1 के वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट इमरान खान ने उस ग्लेशियर डिपोजिट स्लाइड की तस्वीरें साझा की हैं. जियोलॉजिस्ट इमरान खान ने बताया धराली गांव से लगभग 7 किमी ऊपर की ओर, समुद्र तल से लगभग 6,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, ग्लेशियर डिपाजिट डेबरी का एक बड़ा हिस्सा टूटने से मलबा तेजी से नीचे घाटी की ओर आया. सैटेलाइट इमेज के अनुसार ग्लेशियर मलबे की मोटाई 300 मीटर और क्षेत्रीय विस्तार तकरीबन 1.12 वर्ग किलोमीटर का बताया गया है. जिसके कारण निचले इलाकों में तबाही मची है.
धराली गांव से लगभग 7 किमी ऊपर की ओर, समुद्र तल से लगभग 6,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, हिमनदों से बने मोटे तलहटी निक्षेपों का एक महत्वपूर्ण समूह पाया गया है. इन निक्षेप अनुमानित ऊर्ध्वाधर मोटाई 300 मीटर है. इसका क्षेत्रीय विस्तार 1.12 वर्ग किमी है. इसकी संरचना अनुमानित हिमोढ़ और हिमनद-नदी पदार्थ की है.अवस्था की बात करें तो एक लटकते हिमनद गर्त के भीतर स्थित असंगठित पिंड है. जानते हैं इस हादसे की दूसरी थ्योरी..
बादलों को बाहर निकलने की जगह नहीं मिली-कारण!
थ्योरी नंबर-2- उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र के खड़ी चढ़ाई वाले पहाड़ों के बीच भारी नमी लिए बादलों को बाहर निकलने की जगह नहीं मिली. यह बादल फटने की घटना का मुख्य कारण रहा और जलसैलाब आया. आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ वायुमंडलीय व पर्यावरण विज्ञानी डा.नरेंद्र सिंह का कहना है कि पिछले डेढ़ दशक से बादल फटने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है. धराली की पहाड़ियां सीधी खड़ी हैं और बहुत ऊंची भी हैं जिनके बीच बादल ठहर जाते हैं.
भौगोलिक संरचना बादल फटने के लिए अनुकूल
बादलों में अत्यधिक नमी होने के कारण इनके फटने की घटना हो जाती है. इस तरह की परिस्थितियां कभी-कभार ही बनती हैं. लेकिन जब बनती हैं तो खतरनाक दृश्य सामने आता है. मंगलवार को धराली में यही देखने को मिला है. धराली क्षेत्र की भौगोलिक संरचना बादल फटने के लिए अनुकूल है.