मोहम्मद शमी के रोजा तोड़ने पर भड़के मौलाना तो क्रिकेटर के भाई ने सुनाई खरी-खरी, कट्टरपंथियों से इस्लामिक किताबें पढ़ने को कहा
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मोहम्मद शमी के रोजा तोड़ने पर भड़के मौलाना तो क्रिकेटर के भाई ने सुनाई खरी-खरी, कट्टरपंथियों से इस्लामिक किताबें पढ़ने को कहा

Mohammed Shami Ramzan Controversy On Ramzan: मोहम्मद शमी के रमज़ान के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में एनर्जी ड्रिंक पीने के बाद मौलाना भड़क गए हैं. इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी बवाल मचा हुआ है. इस मामले में मोहम्मद शमी के इस फैसले पर सवाल उठाने वालों को अब उनके भाई और अन्य धर्मगुरुओं से कड़ा जवाब दिया है.

 Mohammed Shami Ramzan Controversy On Ramzan
Mohammed Shami Ramzan Controversy On Ramzan

Mohammed Shami Ramzan Fast Controversy:/विनीत अग्रवाल: भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी के रमज़ान के दौरान रोज़ा ना रखने को लेकर बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने कड़ी टिप्पणी की और उन्हें "इस्लाम का गुनहगार" तक बता दिया. इस बयान के बाद शमी के भाई मोहम्मद जैद ने पलटवार करते हुए कहा कि पाकिस्तान की टीम में भी कई खिलाड़ी रोज़ा नहीं रखते, लेकिन उन पर सवाल नहीं उठते.

मोहम्मद जैद का बयान
शमी के भाई मोहम्मद जैद ने कहा कि मौलाना शहाबुद्दीन को इस्लामी किताबें पढ़ने की ज़रूरत है. वह सिर्फ टीआरपी के लिए शमी के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं. 2006 में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम ने टूर्नामेंट के दौरान पानी पिया था और रोज़ा नहीं रखा था, तब किसी ने सवाल नहीं उठाया. फिर मोहम्मद शमी को ही ट्रोल क्यों किया जाता है?

शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि रोज़ा रखना व्यक्तिगत आस्था का विषय है. किसी को भी किसी की धार्मिक आस्था पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है.

पहले देश, फिर सब कुछ– शमी के बचाव में उतरे पूर्व कोच बदरुद्दीन
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज़ गेंदबाज मोहम्मद शमी के रमज़ान के दौरान एनर्जी ड्रिंक पीने को लेकर उठे विवाद पर उनके पूर्व कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी ने उनका समर्थन किया है.  इस दौरान बदरुद्दीन ने कहा कि मोहम्मद शमी की कोई गलती नहीं है, देश के आगे कुछ भी नहीं है. इस्लाम में भी छूट है कि बीमार होने या ज़रूरी स्थिति में रोज़ा बाद में रखा जा सकता है. उन्होंने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि शमी देश के लिए खेल रहे हैं, ऐसे बेवजह के बयान उनके मनोबल को गिराने का काम करते हैं.

क्या है मामला?
रमज़ान के दौरान रोज़ा रखना इस्लाम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन कई खिलाड़ी और पेशेवर अपनी शारीरिक ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए रोज़ा नहीं रखते हैं. मोहम्मद शमी के इस फैसले पर सवाल उठाने वालों को अब उनके भाई और अन्य धर्मगुरुओं से कड़ा जवाब मिल रहा है. 

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