भारत छोड़ो आंदोलन: यूपी के वो चार जिले जिन्होंने हिला दीं ब्रिटिश हुकूमत की चूलें, देश से पहले एक दिन के लिये आजाद हुआ ये शहर
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भारत छोड़ो आंदोलन: यूपी के वो चार जिले जिन्होंने हिला दीं ब्रिटिश हुकूमत की चूलें, देश से पहले एक दिन के लिये आजाद हुआ ये शहर

Quit India Movement: 8 अगस्त  1942 को जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया तो यूपी भी अछूता नहीं रहा, अगले ही दिन बागी बलिया से आंदोलन का ऐसा चरण शुरू हुआ जो अगले 10 दिनों तक कई जिलों तक फैल गया. बलिया से लेकर मैनपुरी और लखनऊ तक आंदोलन की आग में कूद गए. दर्जनों क्रांतिकारी अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. 

भारत छोड़ो आंदोलन: यूपी के वो चार जिले जिन्होंने हिला दीं ब्रिटिश हुकूमत की चूलें, देश से पहले एक दिन के लिये आजाद हुआ ये शहर

Ballia: देश को ब्रिटिश हुकूमत के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आज ही के दिन यानी 8 अगस्त को पूरे देश में भारत छोड़ो आंदोलन शुरु किया था. लेकिन अगले ही दिन गांधी जी समेत कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसके चलते जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होने लगे. आमजन से लेकर व्यापारी वर्ग तक हड़ताल पर बैठ गए. पुलिस आंदोलन को दबाने के लिए लाठीचार्ज तक कर रही थी लेकिन जनता पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी. कांग्रेस ने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए देशवासियों से 'करो या मरो' का आह्वान किया था. 

अंग्रेजों ने आंदोलन को दबाने के लिए न केवल गांधी जी समेत कई बड़े नेताओं की गिरफ्तारी की थी बल्कि कांग्रेस को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया. जिससे ये आंदोलन तेजी से पूरे देश में फूट पड़ा. शुरुआत में आंदोलन बहुत तेज नहीं दिखा लेकिन सप्ताहभर में ही आंदोलन ने ऐसा जोर पकड़ा कि ब्रिटिश सरकार की चूलें हिला दीं. 

बलिया ऐसे हुआ बागी 
भारत छोड़ों आंदोलन से अब यूपी भी अछूता था नहीं था. 9 अगस्त को यूपी के बलिया से  आंदोलन का पहला चरण शुरू हो चुका था. यूपी ने 9 अगस्त से 19 अगस्त तक इतिहास के पन्नों में इस आंदोलन की हर रोज एक नई इबारत लिखी. 9 अगस्त 1942 को शुरू हुआ आंदोलन के पहला चरण भोजपुर से मिदनापुर तक फैल चुका था. भले ही समाचार पत्र बैन थे फिर भी इसी दिन 15 वर्षीय बाल क्रांतिकारी सूरज प्रसाद अपने एक वरिष्ठ साथी के पास एक हिंदी समाचार पत्र लेकर पहुंचे और भोंपू बजाकार गांधी जी समेत कांग्रेस के अन्य नेताओं की गिरफ्तारी की सूचना दी. 

गाजीपुर में आंदोलन की शुरुआत
हालांकि भारत छोड़ो आंदोलन की आग का धुआं गाजीपुर भी पहुंच चुका था लेकिन इसकी असल शुरुआत 13 अगस्त  को बल्देव पांडे के नेतृत्व हुई. जब यहां राजावारी के रेलवे पुल पर रेल की पटरियां उखाड़ कर गोमती नदी में फेंक दी गईं. बल्देव पांडे सैदपुर इंग्लिश मिडिल स्कूल में संस्कृत के अध्यापक थे. बल्देव पांडे के नेतृत्व में रेल की पटरियां ही नहीं सड़कें खोद दी गई थीं, स्कूल-कॉलेज बंद करवा दिये गए थे. 

विदेशी कपड़ों की होली जली
भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी की गिरफ्तार के बाद मैनपुरी में भी 9 अगस्त को आंदोलन की चिंगारी नहीं बल्कि आग ही दिखाई दी. यहां आम लोगों ने क्रांतिकारियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए विदेशी कपड़ों की जगह-जगह होली जलाई.  

एक दिन के लिए आजाद हुआ बेवर
मैनपुरी के बेवर को तो 14 अगस्त 1947 को एक दिन के लिए अंग्रेजी पुलिस से आजाद ही करा लिया गया. लेकिन 15 अगस्त बजाहर से अंग्रेजी पुलिस बेवर पहुंची और बेवर थाने में मौजूद क्रांतिकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.  इस फायरिंग में बेवर के छात्र कृष्ण कुमार के अलावा सीताराम गुप्ता और जमुना प्रसाद त्रिपाठी शहीद हो गए. आज भी बेवर का जर्जर पुराना थाना इन तीनों शहीदों की शहादत की मूक गवाही देता है. 

लखनऊ के ये इलाके बने क्रांति के केंद्र 
लखनऊ का मशककंज, झंडेवाला पार्क, लखननऊ विश्वविद्यालय हजरतगंज क्षेत्र भी यूपी की राजधानी में भारत छोड़ो आंदोलन का केंद्र रहा था. याद दिला दें कि भारत छोड़ो आंदोलन से 17 साल पहले ही लखनऊ काकोरी कांड के लिए स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अपनी जगह बना चुका था. 

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