शिमला जिले के रामपुर बुशहर उपमंडल के शनेरी गांव में पारंपरिक बिरशी मेले का आयोजन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया गया. यह मेला हर वर्ष नई फसल के आगमन की खुशी और आने वाली फसलों की अच्छी पैदावार के लिए स्थानीय देवी-देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने के उद्देश्य से मनाया जाता है.
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Kinnaur News(विशेषर नेगी): शिमला जिला के रामपुर बुशहर के शनेरी गांव में चार ठहरी के देवताओं की उपस्थिति में बिरशी मेले का आयोजन किया गया. यह मेला जहां नई फसल के आगमन की खुशी में मनाया जाता है , वही आने वाली नगदी फसलें मसलन सेब आदि पर प्रकृति की मार ना पड़े, इसकी कामना को लेकर लोग स्थानीय देवी देवताओं से मन्नत मांगते हैं.
सदियों पुरानी इस परंपरा को देवी देवताओं की उपस्थिति में आज भी क्षेत्र के लोग चाव के साथ मेले के रूप में मनाते है, ताकि देवी देवताओं की कृपा क्षेत्र की सुख, समृद्धि एवं खुशहाली के लिए बनी रहे. इस के साथ साथ पहाड़ी संस्कृति का भी संरक्षण हो। शनेरी में भी चार ठहरी के देवताओं की उपस्थिति में लोगों ने दिनभर खूब नाच गान कर मनोरंजन किया.
सदियों पुरानी परंपरा आज भी जीवंत
स्थानीय निवासी परमानंद ने जानकारी देते हुए कहा कि यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी गांववासी इस मेला उत्सव को उसी श्रद्धा और उत्साह से मनाते हैं ताकि पूरे साल क्षेत्र में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे.
गायक अशोक पालसरा ने बताया कि मेले के दौरान पारंपरिक माला नृत्य किया गया, जो सामूहिक एकता और सहयोग का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि बिरशी मेला केवल पर्व नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी संजोया जा रहा है.
बदलती खेती, लेकिन परंपरा अडिग
व्यापार मंडल के अध्यक्ष तन्मय शर्मा ने बताया कि पहले यह मेला गेहूं की कटाई के बाद मनाया जाता था, लेकिन अब कृषि पद्धतियों में बदलाव आया है. क्षेत्र के लोग अब नकदी फसलों जैसे सेब की पैदावार और उसके संरक्षण के लिए देवी-देवताओं से विशेष प्रार्थना करते हैं, ताकि प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि से फसल को नुकसान न पहुंचे.
स्थानीय महिला पूनम देवी ने बताया कि इस मेले में चार ठहरी के चार देवताओं की विशेष रूप से पूजा-अर्चना और देव परंपराओं का आयोजन किया गया. उन्होंने कहा कि गांववासी साल दर साल इस परंपरा को पूरी आस्था के साथ निभा रहे हैं.