Pakistan Deport Afghan Refugee: पाकिस्तान सरकार इन दिनों अफगानिस्तानी शरणार्थियों को वापस भेज रही है. पाकिस्तान ने अफगान सिटिजन कार्ड धारकों की स्वैच्छिक वापसी की समयसीमा 31 मार्च होने के बाद हजारों शरणार्थियों को वापस भेज चुका है. इसका शिकार हालिया इंटरनेट सेंशेसन चायवाला भी हुए. जानें क्या पूरा मामला?
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Pakistan Viral Chaiwala: इस्लामाबाद के 'चायवाला' अरशद खान, जो कभी रातों रात इंटरनेट सनसनी बन गए थे, अब कानूनी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. वह एक पाकिस्तानी नागरिक के रूप में अपनी पहचान के लिए लड़ रहे हैं. उन्हें जल्द अफगानिस्तान निर्वासित किए जाने का डर सता रहा है.
आकर्षक नीली आंखों वाले इस 'चायवाले' की तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था और अरशद खान को खूब आलमी शोहरत हासिल हुई थी. हालांकि 25 वर्षीय युवक को अब अपना अधिकांश समय स्थानीय अदालतों में बिताने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. अधिकारियों ने उनका राष्ट्रीय पहचान पत्र (NIC) और पाकिस्तानी पासपोर्ट ब्लॉक कर दिया है.
अरशद खान ने अपने एनआईसी और पासपोर्ट को ब्लॉक किए जाने को लाहौर उच्च न्यायालय की रावलपिंडी पीठ में चुनौती दी है. मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी. दरअसल, पाकिस्तान के राष्ट्रीय डेटाबेस एवं पंजीकरण प्राधिकरण (NDRA) ने जवाब दाखिल कर खुफिया एजेंसियों से मामले की विस्तृत जांच कराने के लिए और समय मांगा है.
इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने कहा कि अरशद खान उर्फ चायवाला एक अफगान नागरिक हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह अफगानिस्तान में पैदा हुए थे और उनके पास पाकिस्तानी नागरिक होने का कोई कानूनी सबूत नहीं है. दोनों एजेंसियों की रिपोर्ट में यह कहा गया कि 'कोई भी विदेशी नागरिक सीएनआईसी या पासपोर्ट जैसे पाकिस्तानी पहचान दस्तावेजों को रखने या उनसे लाभ उठाने का हकदार नहीं है.'
इसके अलावा एनएडीआरए अधिकारियों ने कहा कि अरशद खान 1978 से पहले पाकिस्तान में अपनी पहचान, जन्म, निवास या संपत्ति के स्वामित्व का सबूत देने में नाकाम रहे हैं. एनएडीआरए के अधिकारियों ने कहा कि चूंकि कोई सबूत नहीं दिया गया, इसलिए अरशद खान का सीएनआईसी और पासपोर्ट रद्द कर दिया गया.
अरशद को कानूनी नोटिस भी भेजा गया, जिसमें पाकिस्तान छोड़ने का निर्देश दिया गया. अरशद खान की ओर से दायर याचिका में कहा किया वह इस्लामाबाद में चाय बेचते रहे हैं. इसमें दलील दी गई कि उनके पहचान दस्तावेजों को रद्द करने से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है.