Gumla News: झारखंड के सदर अस्पताल में खुलेआम कमीशनखोरी खेल चल रहा है. मोटी कमाई के चक्कर में मरीज को प्राइवेट हॉस्पिटल भेजा जा रहा है, इससे लोगों की जेब पर तो असर पड़ ही रहा है. इसके अलावा मरीज के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
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Gumla News: झारखंड के गुमला में जिले के एकमात्र सदर अस्पताल में इन दिनों खुलेआम कमीशनखोरी का धंधा चल रहा है. यह अस्पताल बिचौलियों का अड्डा बन गया है. जिसके कारण गांव देहात से आने वाले मरीज को काफी कठिनाइयों का सामना कर पड़ रहा है. यहां डॉक्टर द्वारा रिम्स रेफर मरीज को कमीशन के चक्कर में दलाल द्वारा निजी अस्पताल भेज दिया जाता है. जिसके चलते मरीज के परिजनों को गाढ़ी कमाई का मोटा पैसा निजी अस्पतालों को देना पड़ जाता है. दरअसल, गुमला जिला के सिलाफारी गांव निवासी मंटू साहू की पत्नी बीना कुमारी को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जानकारी के मुताबिक, परिजनों ने महिला को प्रसव के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया था. जिसके बाद डॉक्टर ने जांच करने पर पाया कि उसके बच्चे का ब्रिज पोजीशन है. जिसमें नवजात का सिर ऊपर और पैर नीचे हो जाता है.
बताया गया कि इसके लिए ऑपरेशन जरूरी है. स्थिति को देखते हुए डॉक्टर निर्मला मुंडू ने उसे रिम्स के लिए रेफर कर दिया. डॉक्टर ने बताया मरीज के परिजनों को काउंसलिंग करके रिम्स ले जाने के लिए कहा गया था, लेकिन अस्पताल में ही मौजूद बिचौलियों को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने तुरंत शहर के एक नाम चिन अस्पताल केयर एडवांस से संपर्क किया. इसके बाद 10 मिनट के अंदर ही अस्पताल प्रबंधन ने अपना एंबुलेंस सदर अस्पताल भेज दिया और तत्काल मरीज को एंबुलेंस से निजी अस्पताल ले गए.
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सदर अस्पताल के एक कर्मी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया इस खेल में कमीशन जुड़ा हुआ है. मरीज से मोटा पैसा लिया जाएगा. जिसमें मरीज को भेजने वाले का कमीशन भी बंधा है. ऐसे कई मामले प्रतिदिन यहां देखे जाते हैं. एंबुलेंस में चढ़ते समय मरीज के एक परिजन ने कहा 'हमें कहां और कौन सा अस्पताल ले जाया जा रहा है, पता नहीं चल पा रहा है'. वहीं मामले को लेकर सदर अस्पताल के डीएस के कार्यालय पहुंचने पर उनका कार्यालय बंद पाया गया. लोगों ने बताया डीएस कभी कार्यालय आते ही नहीं हैं. जिसके कारण लोगों को कई कार्य कराने में परेशानी होती है.
मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉक्टर नवल कुमार ने कहा 'मामले की जानकारी हुई है, मामला गंभीर है. 24 घंटे के अंदर मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी'. इधर डीसी गुमला सत्यार्थी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 48 घंटे के अंदर जांच का रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया है और तत्काल अस्पताल प्रबंधन का वेतन अगले आदेश तक रोक दिया है.
इनपुट- रणधीर निधि
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