Kaimur News: बिहार सरकार की जीविका योजना ने कैमूर की रहने वाली सरोजा देवी और उनके बच्चों की जिंदगी को बदलकर रख दिया है. एक समय था जब सरोजा के परिवार में खाने के लाले पड़ते थे. बच्चे भूखे पेट सोने को मजबूर थे, लेकिन आज जीविका के बलबूते सरोजा के 3 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और एक बेटी की शादी तक हो चुकी है.
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Kaimur News: बिहार के कैमूर जिले के रामपुर प्रखंड के एकौनी गांव में जीविका ने सरोजा देवी की जिंदगी को बदल कर रख दिया है. सरोजा देवी जब 30 साल पहले ससुराल आई थी, तो उसके पति नशे के आदी थे. नशे के कारण वह परिवार पर ध्यान नहीं देते थे. जिससे घर में खाने-पीने के लाले पड़ रहे थे. बच्चों के भूखे रहने की नौबत आने लगी. तब सरोजा देवी जीविका से जुड़ी और एक ठेला खरीद ठेले पर सब्जी पूरा दिन घूम-घूमकर बेचने लगी. उससे जो भी आमदनी होता था, सरोजा उसे परिवार के पालन पोषण में लगाने लगी. उनके इस मेहनत को देखते हुए जीविका ने उन्हें एक ई-रिक्शा दे दिया. फिर ई-रिक्शा से सुबह 6 बजे से सरोजा कुदरा से सब्जी लेकर आती और आस पास के गांव में घूम-घूमकर सब्जी बेचती थी. इसके बाद जो समय बचता उससे वो सवारी भी ढोने का काम करने लगी. इससे सरोजा को 500 से 1000 रुपये तक की आमदनी प्रतिदिन होने लगी. अपने लगन और मेहनत के बदौलत सरोजा देवी ने अपनी बड़ी पुत्री रानी कुमारी को इंटर तक पढ़ाकर उसकी धूमधाम से शादी कर दी. अभी भी सरोजा दो बेटा और एक बेटी को पढ़ाने में जुटी हुई है. सरोजा ने अपनी मेहनत और हौसले से जिंदगी को पूरी तरह बदल कर रख दिया, जिसमें जीविका उनके लिए सहारा बना.
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ज़ी मीडिया से खास बातचीत में सरोजा देवी ने बताया कि मेरे पति शराब के लत के आदी होने के कारण घर परिवार पर ध्यान नहीं देते थे. फिर मैंने अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए पहले ठेला चलाकर सब्जी बेचना शुरू किया. इसके बाद जीविका समूह से जुड़कर ई-रिक्शा खरीदी. अब ई-रिक्शा पर सब्जी बेचती हूं और समय अगर बच जाता है, तो सवारी भी ढोती हूं. अपने चार बच्चों का पालन पोषण इसी की कमाई से करती हूं. उन्होंने बताया कि 30 से 35 साल पहले मेरी शादी हुई थी. पिछले 20 सालों से बहुत परेशान थी. जीविका के कारण मेरी जिंदगी बर्बाद होने से बच गई. 5 सालों से जीविका से जुड़ी हूं. प्रतिदिन 500 से 1000 रुपये तक की कमाई मेरी हो जा रही है.
सरोजा ने बताया कोई नगद भी पैसा दे देता है, तो कोई मोबाइल में भी पैसा डाल देता है. सुबह 6 बजे सब्जी लाने के लिए निकल जाती हूं और रात के 8 बजे तक गांव-गांव में घूमकर सब्जी बेचने और सवारी ढोने का काम करती हूं. जीविका ने मेरी जिंदगी बदल दी है. सरोजा देवी की पुत्री दुर्गा कुमारी ने बताया कि पहले हम लोग बहुत गरीब थे. अब मां के बदौलत जिंदगी में काफी सुधार आया है. मेरे पापा नशे के आदि थे. हम लोगों के पढ़ाई-लिखाई को लेकर कोई चिंता उनको नहीं था. जब से मम्मी जीविका से जुड़कर ई-रिक्शा खरीदी है और उससे सब्जी बेचती है, उसके बदौलत हम लोगों की जिंदगी बहुत बेहतर हो गई है. मम्मी जीविका से जुड़ी तो उसी की कमाई से बड़ी बहन की शादी की. घर का खर्चा भी चलता है. अभी मैं इंटर में पढ़ाई कर रही हूं.
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प्रखंड परियोजना प्रबंधक अनिल कुमार चौबे ने जानकारी देते हुए बताया कि सतत जीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत सरोजा दीदी के घर पर आए हुए हैं. उनकी शुरुआती स्थिति काफी दयनीय थी. उनके पति नशे के आदि थे. बच्चे छोटे थे, तो इनको जीविका के तरफ से 20 हजार रुपये सब्जी का ठेला लगाने के लिए दिया गया था. कुछ दिनों तक ठेला से सब्जी बेची, जिसके बाद इनको ई-रिक्शा दिया गया. आज सरोजा देवी ई-रिक्शा चलाकर सब्जी बेचती हैं और सवारी भी ढोती हैं. इनको प्रतिदिन 500 से 1000 रुपये तक का इनकम हो जाता है. जिससे उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आया है.
इनपुट - मुकुल जायसवाल
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