Muzaffarpur News: बढ़ती गर्मी के साथ मुजफ्फरपुर में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) के मामलो में भी बढ़ोतरी होने लगी हैं, जिले में चमकी बुखार के करीब आधा दर्जन मरीज मिल चुके हैं.
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Muzaffarpur News: बढ़ती गर्मी के साथ मुजफ्फरपुर में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) के मामलो में भी बढ़ोतरी होने लगी हैं, जिले में करीब आधा दर्जन मामले सामने आ चुके हैं, वहीं इसको लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में हैं. ऐसे में इसको लेकर मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल में भी विशेष तैयारी की गई हैं, सदर अस्पताल के एमसीएच (MCH) बिल्डिंग में 10 बेड का स्पेशल एईएस (AES) वार्ड बनाया गया हैं, जिसमे सभी अत्याधुनिक मशीने भी लगाई गई हैं और समुचित दवाई की व्यवस्था की गई है. साथ ही एईएस किट भी तैयार किया गया है. जिसमें एईएस (AES) से संबंधित सभी तरह की दवा उपलब्ध है. 24 घंटा डॉक्टरों की तैनाती की गई है, ताकि किसी तरह की समस्या एईएस (AES) पीड़ित बच्चों को ना हो और शिफ्ट के अनुसार वहां पर नर्स की भी तैनाती की गई है.
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वहीं सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ बी.एस. झा ने बताया कि 'सदर अस्पताल में एईएस (AES) की तैयारी पूरी हैं, डॉक्टरों को भी ट्रेनिंग दिया जा रहा हैं, हालांकि सदर अस्पताल में अब तक एक भी मामले सामने नहीं आया हैं. दरअसल, एईएस (AES) यानी चमकी बुखार को लेकर मुजफ्फरपुर हॉटस्पॉट बन गया था और कुछ वर्ष पूर्व इस बीमारी के कारण काफी बच्चों की मौत हो गई थी. उसके बाद यह बीमारी काफी चर्चा में भी आया. इसके बाद इसको लेकर केंद्र स्तर से लेकर राज स्तर पर इसी समीक्षा की गई और इस बीमारी से बचाव के लिए कई तरह के उपाय भी किए गए. इसके बाद बीते 2 वर्षो से एक भी बच्चे की डेथ नहीं हुई.
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जानकारी के मुताबिक, जो भी पीड़ित बच्चे आय वह ईलाज के बाद ठीक होकर अपने-अपने घर जा चुके हैं. इसको लेकर मुजफ्फरपुर में गर्मी की धमक शुरू होते ही पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है. जिला प्रशासन के स्तर पर गांव में चौपाल लगाई जाती है, ताकि बच्चों के अभिभावक को इस बीमारी से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाए. जिससे वह अपने बच्चों की ठिक से देख भाल कर सके. हालांकि इस बीमारी से बचाव के लिए अप्रैल महीने से प्रखंड से लेकर गांव स्तर पर चौपाल लगाई जाएगी. जिसमें वहां के स्थानीय पीएचसी, सीएचसी और आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही जीविका दीदी को भी इसमें लगाया जाता है, ताकि वह घर-घर जाकर जीरो से 15 वर्ष के बच्चों के अभिभावकों को इससे बचाव की जानकारी उपलब्ध करा सके.
इनपुट - मणितोष कुमार
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