Bihar Politics: बिहार में दलित राजनीति हावी! जीतन राम मांझी ने अब खेल दिया 'आरक्षण' का नया कार्ड, चढ़ गया सियासी पारा
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Bihar Politics: बिहार में दलित राजनीति हावी! जीतन राम मांझी ने अब खेल दिया 'आरक्षण' का नया कार्ड, चढ़ गया सियासी पारा

Jitan Ram Manjhi News: केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने राज्यसभा और विधान परिषद में आरक्षण की मांग की है. उनकी इस मांग ने आरक्षण वाली सियासत में नई बहस को जन्म दे दिया है.

जीतन राम मांझी
जीतन राम मांझी

Jitan Ram Manjhi News: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रदेश के करीब 19 फीसदी दलित वोटर जिसके साथ चले जाएंगे, उसी की सरकार बन जाएगी. लिहाजा, इस समय सभी दलों का फोकस दलित वोटबैंक पर है. आंबेडकर जयंती के दिन तकरीबन हर दल ने दलितों को रिझाने की कोशिश की. इसी कड़ी में हम संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बड़ी मांग कर दी. उन्होंने अब दलितों के लिए राज्यसभा और विधान परिषद में आरक्षण की मांग की है. मांझी ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए विधान परिषद और राज्यसभा की सीट आरक्षित हो, जिसमें मतदाता भी सिर्फ इसी वर्ग के हों. उनकी इस मांग ने आरक्षण वाली सियासत में नई बहस को जन्म दे दिया है. 

बाबा साहब डॉ. भीम राव आंबेडकर की जयंती समारोह पर हम की ओर से मांझी तारामंडल सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर बाबा साहब का अपमान करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहेब आंबेडकर को सम्मान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने 60 साल से अधिक के शासन में दलितों की शिक्षा के लिए काम नहीं किया. देश की सारक्षता दर लगभग 80 प्रतिशत है,जबकि अनुसूचित जाति के लोगों की साक्षरता लगभग 30 फीसदी ही है. मांझी ने इस दौरान सामाजिक समरसता के लिए अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने की वकालत की. उन्होंने कहा कि दलित समाज के लोगों को जाति भेद भूलकर अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना चाहिए.

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उधर बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी संविधान और आरक्षण पर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि संविधान और आरक्षण को बचाने के लिए बाबा साहेब के विचारों के साथ खड़े हैं और हमेशा रहेंगे. तेजस्वी ने इस दौरान बीजेपी-जेडीयू पर आरक्षण के खिलाफ कार्य करने का भी आरोप लगाया और कहा कि 65 प्रतिशत आरक्षण को अबतक संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार में जातीय गणना हुई. उसके बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया. हमने 16 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाया था, जिससे कुल 65 प्रतिशत आरक्षण हो गया था. हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि बढ़े हुए आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल किजिए. लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया.

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