Bihar Chunav 2025: राहुल गांधी सेट कर रहे विपक्ष का एजेंडा, फॉलोवर के रूप में तेजस्वी यादव, कांग्रेस कुछ बड़ा सोच रही है!
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Bihar Chunav 2025: राहुल गांधी सेट कर रहे विपक्ष का एजेंडा, फॉलोवर के रूप में तेजस्वी यादव, कांग्रेस कुछ बड़ा सोच रही है!

Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार चुनाव को इस बार तेजस्वी यादव की जगह राहुल गांधी लीड कर रहे हैं. 2020 में तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था, लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई थी. यही वजह है कि इस बार कांग्रेस की ओर से महागठबंधन में सीएम चेहरा को लेकर तेजस्वी को हरी झंडी नहीं दिखाई जा रही है.

तेजस्वी यादव-राहुल गांधी
तेजस्वी यादव-राहुल गांधी

Rahul Gandhi Strategy For Bihar Chunav 2025: इस बार बिहार विधानसभा चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने जा रहा है. 1990 के बाद से शायद पहली बार राजद की जगह कांग्रेस पार्टी मुख्य भूमिका में नजर आ रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी रणनीति तय कर रहे हैं और राजद नेता तेजस्वी यादव उसी रास्ते को फॉलो कर रहे हैं. बिहार चुनाव के लिए राहुल गांधी ने विपक्ष का एजेंडा सेट कर दिया है और तेजस्वी यादव उसे ही फॉलो करते नजर आ रहे हैं. अभी तक के घटनाक्रम को देखकर लगता है कि इस बार का चुनाव मुद्दों पर नहीं बल्कि आरोपों पर लड़ा जाएगा. राहुल गांधी हर रोज कोई ऐसा बयान दे देते हैं, जिससे असली मुद्दों की बात ही नहीं हो रही है. राहुल गांधी का गेम प्लान ही कुछ ऐसा है. 

लोकसभा चुनाव से पहले तक राहुल गांधी अक्सर ईवीएम पर सवाल उठाते थे, लेकिन बिहार चुनाव से पहले उन्होंने चुनाव आयोग पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. बिहार चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर बड़े गंभीर आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र चुनाव में धांधली किए जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि ‘मैच फिक्सिंग’ अब बिहार में भी दोहराई जाएगी. राहुल गांधी यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि जिन-जिन जगहों पर बीजेपी हार रही होगी, वहां ऐसा ही किया जाएगा. राहुल गांधी के बयान पर चुनाव आयोग की सफाई भी आ चुकी है. इलेक्शन कमीशन ने कांग्रेस नेता के सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया है. इलेक्शन कमीशन ने साफ कहा कि कांग्रेस नेता की ओर से बेबुनियाद आरोप लगाकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.

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चुनाव आयोग ने बताया कि 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस के सारे आरोपों का तथ्यों सहित जवाब दिया गया था. ये चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं. इलेक्शन कमीशन के जवाब के बावजूद अब तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन किया है. तेजस्वी ने कहा कि राहुल गांधी की बातों में दम है. बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में दिन के उजाले में मतगणना को रुकवा दिया गया. रात के अंधेरे में मतगणना हुई. शाम तक राजद के जो प्रत्याशी विजयी रहे थे, उनको रात में हरा दिया गया. ऐसा सरकार और निर्वाचन आयोग की मिलीभगत से हुआ. राहुल की तरह तेजस्वी ने भी कहा कि नरेंद्र मोदी के शासन-काल में देश के सभी संवैधानिक संस्थानों को हाईजैक कर लिया गया है.

अब सवाल ये हैं कि अगर चुनावों में इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई थी तो कांग्रेस या राजद ने क्या एक्शन लिया था? बात-बात पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाने वाले नेता शांत क्यों रहे? आखिर क्यों किसी भी दल या प्रत्याशी ने कोर्ट में शिकायत नहीं की? इन सभी सवालों का यह ही जवाब है- सबकुछ अपनी हार छुपाने का बहाना है. लोकसभा चुनावों में बीजेपी को बहुमत नहीं मिलने को कांग्रेस पार्टी ने अपनी जीत की तरह प्रोजेक्ट किया था. राहुल गांधी को पीएम मोदी से बड़ा नेता बताने की कोशिश की गई थी, लेकिन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की नाकामी से राहुल गांधी के नेतृत्व पर फिर से सवाल खड़े हो गए. महाराष्ट्र चुनाव पर राहुल गांधी जहां चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं उनके सहयोगी शरद पवार चुनावों को निष्पक्ष बता रहे हैं. दोनों नेताओं के बयान से साफ है कि राहुल गांधी इतनी शर्मनाक हार को पचा नहीं पा रहे हैं.

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अब बिहार चुनावों से पहले इस मुद्दे को हवा देने की रणनीति भी समझ लीजिए. सियासी जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी दोनों हाथ में लड्डू रखना चाहते हैं. वह लोकसभा चुनाव की तरह बिहार चुनाव भी जनता को भ्रम में डालकर लड़ना चाहते हैं. लोकसभा चुनावों में उन्होंने दावा किया था कि अगर बीजेपी जीती तो संविधान बदल देगी, आरक्षण समाप्त कर देगी, देश में चुनाव होने बंद हो जाएंगे. उनकी बातों का जनता में असर भी देखने को मिला. अब यही रणनीति बिहार चुनाव में अपनाई जा रही है. अगर लोकसभा चुनाव की तरह उन्हें फायदा मिला तो इससे बेहतर कोई बात नहीं हो सकती और अगर कहीं वो महाराष्ट्र-हरियाणा की तरह फेल हो गए तो अपने बचाव का रास्ता अभी से तैयार कर रहे हैं. बिहार में फिर से एनडीए की सरकार बन गई तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दोनों की काबिलियत पर सवाल उठने लगेंगे. ईवीएम वाला राग पुराना हो गया और जनता को इसपर भरोसा भी नहीं रहा, इसलिए विपक्ष अब सीधे चुनाव आयोग की विश्वनीयता पर ही सवाल खड़े कर रही है.

चुनावी साल की शुरुआत में तेजस्वी यादव काफी आक्रामक दिखाई दे रहे थे. 2020 की तरह ही इस बार भी तेजस्वी ने चुनावी मुद्दे सेट करने की कोशिश की थी. वह ना सिर्फ महागठबंधन सरकार के सभी कामों का क्रेडिट ले रहे थे, बल्कि बड़े-बड़े वादे करके जनता को आकर्षित भी कर रहे थे. लेकिन राहुल गांधी ने मैदान में उतरते ही बता दिया कि इस बार महागठबंधन उनकी रणनीति पर चुनाव लड़ेगा. राहुल ने उन सभी मुद्दों को कैप्चर कर लिया, जिनकी बात कभी तेजस्वी यादव किया करते थे. राजद की माई-बहिन मान योजना को भी कांग्रेस ने अपने स्टाइल में पेश कर दिया. इतना ही नहीं तेजस्वी ने जिन बातों का क्रेडिट लेने की कोशिश की, राहुल ने उनपर सवाल उठाने शुरू कर दिए. बिहार की जातीय जनगणना के क्रेडिट पर राजद-जेडीयू के बीच खूब घमासान देखने को मिला, लेकिन राहुल ने इसे एकदम फर्जी करार दे दिया. उन्होंने तेलंगाना की जातीय जनगणना को मॉडल के रूप में पेश किया. इस तरह अभी तक तेजस्वी ने पूरी तरह से राहुल गांधी के आगे हथियार डाल दिए हैं. अब वह सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित रह गए हैं. एक्स पर ही सुबह-सुबह एक ट्वीट करके सरकार को घेरने का काम करते हैं. बाकी राहुल गांधी के एजेंडे को ही फॉलो करते हैं.

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