Bagaha News: बगहा के चखनी रजवटिया में एक अवैध क्लिनिक में सीजेरियन के दौरान प्रसव पीड़िता मुन्नी देवी और उसके नवजात की मौत हो गई.
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बगहा: बगहा के टाउन थाना क्षेत्र के चखनी रजवटिया पंचायत स्थित वार्ड नंबर 3 में एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक अवैध रूप से संचालित झोलाछाप क्लिनिक में सीजेरियन ऑपरेशन के दौरान प्रसव पीड़िता और नवजात की तड़प-तड़पकर मौत हो गई. यह दर्दनाक हादसा बुधवार को उस समय हुआ जब अनुमंडलीय अस्पताल से रेफर की गई 21 वर्षीय महिला मुन्नी देवी को इलाज के लिए गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (GMCH) बेतिया की जगह झोलाछाप डॉक्टर के पास ले जाया गया.
मृतका के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल की आशा कार्यकर्ता और ममता ने उन्हें बहला-फुसलाकर एक अवैध अस्पताल में भेज दिया, जहां बिना किसी योग्यता के खुद को डॉक्टर बताने वाला मनोज यादव और तथाकथित सर्जन प्रवीण तिवारी ने सीजेरियन ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के दौरान ही महिला और नवजात दोनों की दर्दनाक मौत हो गई.
घटना के बाद गुस्साए परिजनों और स्थानीय ग्रामीणों ने क्लिनिक में जमकर तोड़फोड़ की. सूचना मिलते ही टाउन थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. टाउन थाना के एसआई प्रमोद कुमार ने घटना की पुष्टि की है, वहीं थानाध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टर मनोज यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ हत्या और लापरवाही की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है. वहीं, दूसरा आरोपी प्रवीण तिवारी फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है.
हैरानी की बात यह है कि जहां यह अवैध अस्पताल संचालित हो रहा था वह एक कच्चा मकान है, जिसकी छत अल्बेस्टर से ढकी हुई है. वहां किसी तरह का मेडिकल मानक नहीं अपनाया गया था, फिर भी वहां लंबे समय से अवैध तरीके से ऑपरेशन किए जा रहे थे. स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, मनोज यादव और प्रवीण तिवारी की जोड़ी पहले भी कई मरीजों की जान ले चुकी है, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.
गिरफ्तार आरोपी मनोज यादव के पास न तो कोई चिकित्सकीय डिग्री है और न ही उसका नाम किसी मेडिकल रजिस्ट्रेशन में दर्ज है. वह नमस्ते इंडिया नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाता है और खुद को पत्रकार बताता रहा है. इसी पहचान की आड़ में वह वर्षों से झोलाछाप चिकित्सक बनकर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा था.
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सबसे गंभीर सवाल यह उठता है कि बगहा-1 पीएचसी और अनुमंडल अस्पताल के बीचोंबीच ऐसे अवैध क्लिनिक और झोलाछाप डॉक्टर कैसे खुलेआम सक्रिय हैं. प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और सिविल सर्जन की चुप्पी पर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं. खासतौर पर आशा और ममता द्वारा कमीशन के लालच में मरीजों को झोलाछापों के हवाले कर देना पूरे सिस्टम की नाकामी को उजागर करता है.
इनपुट- इमरान अजीज
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