बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के भरपटिया में एक हाई स्कूल है, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाओगे. यह हाई स्कूल दो कमरे और एक शेड में संचालित होता है. दो कमरे के इस स्कूल में 21 शिक्षक और शिक्षिकाएं तैनात हैं. 372 छात्र-छात्राओं का यहां एडमिशन हुआ है.
नियमानुसार इस स्कूल में 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं की पढ़ाई होती है, लेकिन विडंबना यह है कि 21 शिक्षक और शिक्षिकाओं के होने पर भी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई नहीं होती. ऐसा इसलिए, क्योंकि स्कूल के पास 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के लिए कक्षाएं ही नहीं हैं. एक बात और बता दें कि यह स्कूल का अपना भवन भी नहीं है.
वैसे तो बिहार सरकार शिक्षा विभाग में बदलाव के आसमानी सुल्तानी दावे करती है लेकिन जमीन पर ऐसे कई स्कूल मिल जाएंगे, जिनमें से किसी के खुद के भवन नहीं होंगे तो किसी की अपनी जमीन नहीं होगी. जी मीडिया का ग्राउंड जीरो से इस रियलिटी चेक को देख आप हैरान हो जाएंगे. स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रभु राम बता रहे हैं कि 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं में से 11वीं और 12वीं के बच्चों को कभी-कभी पढ़ाया जाता है.
स्कूल के भवन के लिए कई बार शिकायत की गई है लेकिन अभी तक स्कूल को खुद का भवन नहीं मिला है. इससे 11वीं और 12वीं क्लास के छात्रों को शिक्षा तक नहीं दी जा रही है. इस बारे में जिला शिक्षा पदाधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि स्कूल भवन के लिए इस महीने में टेंडर हो जाएगा. स्कूल को 2021 में उत्क्रमित उच्च विद्यालय का दर्जा मिला लेकिन स्कूल के पास मात्र आठ कमरे थे. जल्द भवन बन जाएगा और छात्र छात्राओं की परेशानी खत्म हो जाएगी.
अब ये बताइए, ये स्कूल किस काम का? यहां 11वीं और 12वीं की पढ़ाई किस काम की? यहां के टीचर किस काम के? जब भवन ही नहीं है तो बच्चे बैठकर पढ़ाई कहां करें. सबसे बड़ी बात कि इतने दिनों से शिक्षा विभाग कर क्या रहा था? 2021 में स्कूल उत्क्रमित हाई स्कूल बना और अब तक दो बड़े क्लास के लिए कक्षाएं ही नहीं हैं. ऐसे में जिला शिक्षा विभाग शिक्षा की बात न करे और बड़े बड़े दावे न करे, तो ही बेहतर होगा. जिला शिक्षा अधिकारी को आईना सामने रखकर बात करनी चाहिए.
रिपोर्ट: धनंजय द्विवेदी
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