Caste Census: बीजेपी नेताओं का कहना है कि जातिगत जनगणना को लेकर भारत सरकार ने फैसला ले लिया है. जल्द ही देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी. हालांकि इस बार इसमें ओबीसी वर्ग की जनगणना के लिए संशोधन भी करना पड़ेगा और इस बार ओबीसी वर्ग की जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी.
Trending Photos
Ghaziabad News: जाति जनगणना को लेकर पिछले कुछ वर्षों से तेज हुई राजनीति के बीच अब केंद्र सरकार ने भी इसकी घोषणा कर दी है. बुधवार को राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने जनगणना के साथ जाति गणना को हरी झंडी दे दी है. आजादी के बाद यह पहली होगा क्योंकि अब तक कई बार जाति सर्वे तो हुए, लेकिन पूरी गणना नहीं हुई.
जातिगत जनगणना ऐतिहासिक निर्णय
इसको लेकर राजनीति तेज हो गई है और बीजेपी नेताओं का कहना है कि जातिगत जनगणना को लेकर भारत सरकार ने फैसला ले लिया है. जल्द ही देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी. हालांकि इस बार इसमें ओबीसी वर्ग की जनगणना के लिए संशोधन भी करना पड़ेगा और इस बार ओबीसी वर्ग की जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी.
जातिगत जनगणना से सभी वर्गों को मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नरेंद्र कश्यप ने केंद्रीय सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने फैसला कर लिया है. ऐसे में सभी वर्गों को शिक्षा, रोजगार, आरक्षण जैसे बिंदुओं पर लाभ मिल सकेगा.
सालों से लंबित बड़े महत्वपूर्ण विषय को आगे बढ़ाया
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा के यह मोदी सरकार की ही इच्छा शक्ति है. उन्होंने सालों से लंबित बड़े महत्वपूर्ण विषय को आगे बढ़ने का काम किया है. वहीं राहुल गांधी के समय सीमा को लेकर उठाए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार की ही इच्छा शक्ति का परिणाम था कि कश्मीर से धारा 370 हटाई जा सकी, संशोधन बिल लाया जा सका, राम मंदिर का निर्माण किया जा सका. ऐसे में राहुल गांधी और अखिलेश यादव चिंता न करें और मोदीजी को इस बात के लिए धन्यवाद दें.
ये भी पढ़ें: पहलगाम हमले में टिकैत भाइयों के बयान पर कार्रवाई की मांग,ABKU के चीफ ने सौंपा ज्ञापन
45 साल में बढ़ी होगी पिछड़े वर्ग की जनसंख्या
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना सीमित समय में ही पूरी होगी और पिछड़ा वर्ग, दलित वंचित लोग अपने अधिकार को पाने में सक्षम होंगे. उन्होंने बताया कि काका कालेकर और मंडी कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 1980 में 52% थी. 1980 को गुजरे हुए 45 साल हो चुके हैं, ऐसे में निश्चित तौर पर पिछड़ा वर्ग की आबादी बढ़ी होगी. जातिगत जनगणना से जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी. यानी कि जनसंख्या के हिसाब से सभी को उनका हक मिल सकेगा.