Bhoomiheen Camp: दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने और रिहा किए के बाद आतिशी ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा. आतिशी ने दावा किया कि डीडीए और पुलिस ने मंगलवार को निवासियों को जबरन बेदखल कर दिया.
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Atishi: आम आदमी पार्टी (आप) की नेता और दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर चुनावी वादों को धोखा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ( डीडीए ) कल (11 जून को) सभी पात्र निवासियों को फ्लैट आवंटित किए बिना कालकाजी के भूमिहीन कैंप क्षेत्र में झोपड़ियों को ध्वस्त करने जा रहा है.
दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने और रिहा किए जाने के तुरंत बाद एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए आतिशी ने दावा किया कि डीडीए और पुलिस ने मंगलवार को निवासियों को जबरन बेदखल कर दिया. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पहले आश्वासन दिया था कि किसी भी झुग्गी-झोपड़ी को नहीं तोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि सिर्फ दो दिन पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि दिल्ली में कोई झुग्गी न तो तोड़ी जाएगी और न ही गिराई जाएगी. अब उनका झूठ उजागर हो गया है. आज भूमिहीन कैंप में पुलिस , सीआरपीएफ और अन्य बलों ने इलाके को घेर लिया और लोगों को जबरन उनके घरों से हटाना शुरू कर दिया, जहां वे 30 से 50 साल से रह रहे थे. उनके बच्चे यहीं पढ़ते और काम करते हैं.
आतिशी ने नजदीक में डीडीए फ्लैटों की उपलब्धता की ओर इशारा करते हुए आरोप लगाया कि 3,000 से अधिक फ्लैटों का निर्माण किया गया है, जिनमें से कुछ तो साइट से 500 मीटर की दूरी पर हैं, लेकिन केवल 1,800 फ्लैटों का ही आवंटन किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर घर तोड़े जा रहे हैं तो ये लोग कहां जाएंगे? डीडीए ने 3,024 फ्लैट बनाए हैं, लेकिन अभी तक केवल 1,832 ही आवंटित किए गए हैं. शेष फ्लैट झुग्गी निवासियों को क्यों नहीं दिए गए हैं? भाजपा ने वादा किया था 'जहां झुग्गी, वहां मकान', लेकिन आधे से अधिक लोगों को कुछ भी नहीं मिला है. उन्होंने दिल्ली सरकार के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि वह केवल अदालती आदेशों का पालन कर रही है.
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आतिशी ने आरोप लगाया कि जब निवासियों ने फ्लैटों की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो डीडीए और सरकार ने इसका विरोध किया और इसके बजाय ध्वस्तीकरण की वकालत की. आतिशी ने कहा कि अदालत का आदेश तब आया जब सरकार ने अदालत से कहा कि इन झुग्गियों को गिरा दिया जाना चाहिए. अब वे अदालत के आदेश की आड़ में छिप रहे हैं. भूमिहीन कैंप के एक निवासी ने भी संवाददाता सम्मेलन में बात करते हुए आरोप लगाया कि सरकार का दावा है कि 1,000 से अधिक लोगों को फ्लैट आवंटित किए गए हैं, लेकिन कई परिवारों को आधिकारिक सर्वेक्षण से बाहर रखा गया और उन्हें आवंटन से वंचित कर दिया गया.
निवासी का कहना है कि हमारा मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में था. सरकार का कहना है कि 1,029 लोगों को फ्लैट दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने यह तथ्य छिपाया कि 100 से अधिक लोगों को तो सर्वेक्षण में शामिल ही नहीं किया गया था. इसलिए हम अदालत गए. हालांकि हमें शुरू में स्थगन मिल गया, लेकिन सरकारी वकीलों ने हमारा विरोध किया और हमें अदालत से और समय नहीं मिला.