Delhi BJP Government: भाजपा ने इस आरोप का जवाब देते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार की आर्थिक स्थिति उसकी खुद की नीतियों और खराब प्रबंधन के कारण बिगड़ी है. भाजपा का कहना है कि दिल्ली सरकार की प्राथमिकताएं सही नहीं हैं और आम लोगों के विकास से जुड़े कामों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
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Aam Aadmi Party MLA Atishi: दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर बजट को लेकर घमासान तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। AAP नेता और पूर्व मंत्री आतिशी ने दिल्ली सरकार के बजट को ‘झूठा’ करार देते हुए कहा कि यह सिर्फ कागजी आंकड़ों का खेल है। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये के बजट का एलान किया, लेकिन असल में खर्च करने के लिए मात्र 60 हजार करोड़ रुपये ही उपलब्ध हैं।
राजनीति के केंद्र में बजट का गणित
31 मार्च को दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने एक आदेश जारी किया, जिसके अनुसार किसी भी विभाग को अपने कुल बजट का केवल 5% ही खर्च करने की अनुमति दी गई है। इसका मतलब यह है कि अप्रैल में केवल 5,000 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सकते हैं और साल भर में कुल 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च संभव नहीं होगा। आतिशी ने इस फैसले को आधार बनाकर दावा किया कि जब पैसा ही नहीं है, तो विकास कार्य कैसे होंगे?
BJP ने इस आरोप का जवाब देते हुए कहा कि AAP सरकार की वित्तीय स्थिति उसकी अपनी नीतियों और गलत प्रबंधन की वजह से बिगड़ी है। भाजपा के मुताबिक, दिल्ली सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं और आम जनता के विकास कार्यों की अनदेखी की जा रही है।
अधूरे रह सकते हैं विकास कार्य
इस बजट संकट के कारण दिल्ली में कई महत्वपूर्ण योजनाओं के अधर में लटकने का खतरा है। सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाओं, सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे से जुड़ी कई परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। दिल्ली में पहले से ही जल आपूर्ति, प्रदूषण नियंत्रण और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। ऐसे में बजट में कटौती से स्थिति और बिगड़ सकती है।
सत्ता की लड़ाई में पिसती जनता
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के इस खेल में दिल्ली की जनता सबसे अधिक प्रभावित होती है। जहां एक ओर AAP सरकार BJP पर वित्तीय संकट पैदा करने का आरोप लगा रही है, वहीं BJP AAP पर कुप्रबंधन और फिजूलखर्ची का दोष मढ़ रही है।
फिलहाल, दिल्ली की राजनीति का यह बजट विवाद जनता के लिए किसी राहत भरी खबर की बजाय, एक नई चुनौती बनता दिख रहा है। अगर जल्द ही इस मुद्दे का हल नहीं निकला, तो दिल्ली में कई महत्वपूर्ण विकास कार्य अधर में लटक सकते हैं, जिसका असर सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन पर पड़ेगा।
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