AAP Questions on Decision of Caste Census: जातीय जनगणना पर केंद्र सरकार की घोषणा को लेकर आप ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. आप ने कहा कि वह शुरू से ही जातीय जनगणना की मांग करती रही है, क्योंकि यह समाज के लिए एक जरूरी मुद्दा है. लेकिन बीजेपी इसे सिर्फ चुनाव के समय उठाती है, जैसे कि यह कोई राजनीतिक हथकंडा हो.
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AAP Reaction on Caste Survey: जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार की घोषणा के बाद अब इस पर राजनीति तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार पर सवालों की बौछार कर दी है. पार्टी का कहना है कि बीजेपी इस गंभीर सामाजिक विषय को एक चुनावी हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है और इससे देश का ध्यान असली मुद्दों से भटकाया जा रहा है.
AAP नेता अनुराग ढांडा ने बुधवार को केंद्र सरकार की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी शुरू से ही जातीय जनगणना की मांग करती रही है. यह समाज के लिए जरूरी है ताकि सभी वर्गों को सही प्रतिनिधित्व और योजनाओं का लाभ मिल सके. लेकिन बीजेपी इस पर हमेशा चुप्पी साधे रही और अब चुनाव नजदीक आते ही इसे बहस का मुद्दा बना रही है. ढांडा ने कहा कि इससे पहले भी बीजेपी ने महिला आरक्षण को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की थीं, लेकिन आज तक उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. उसी तरह जातीय जनगणना पर भी न तो कोई टाइमलाइन दी गई है न ही कोई साफ योजना बताई गई है. ऐसे में शक होता है कि यह सिर्फ 'हेडलाइंस मैनेजमेंट' का हिस्सा है.
AAP ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जातीय जनगणना की आड़ में बीजेपी देश में असली सवालों से ध्यान भटका रही है. अनुराग ढांडा ने कहा कि आज पूरा देश यह उम्मीद कर रहा था कि सरकार पाकिस्तान को करारा जवाब देगी और पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर कोई ठोस कदम उठाएगी. लेकिन इसके बजाय केंद्र सरकार ने अचानक जातीय जनगणना की घोषणा कर दी. पार्टी ने पूछा कि क्या सरकार जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 27 निर्दोष लोगों की हत्या के मुद्दे से बचना चाहती है. क्या यह जातीय जनगणना की घोषणा सिर्फ उस हमले पर बहस से ध्यान हटाने की एक रणनीति है. अनुराग ढांडा ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर कैसे आतंकवादी 250 किलोमीटर अंदर आकर हमला कर सकते हैं और फिर आसानी से भाग निकलते हैं.
AAP का कहना है कि जातीय जनगणना राजनीति का एजेंडा नहीं, समाज की जरूरत है। इसलिए इसे गंभीरता से लागू किया जाना चाहिए ना कि चुनावी घोषणा बनाकर छोड़ा जाए. पार्टी ने मांग की है कि केंद्र सरकार इस पर एक तय समयसीमा और पारदर्शी प्रक्रिया के साथ आगे बढ़े, ताकि समाज में भरोसा बना रहे.
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