Faridabad News: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वन विभाग अरावली के वन क्षेत्र में बने अवैध निमार्ण को तोड़ रहा है. वन विभाग ने करीब 20 दिन पहले इस कार्रवाई शुरू किया था. वन विभाग ने इससे पहले एक सर्वे भी किया था. जिसमें 700 जगहों पर 6 हजार से ज्यादा अवैध निमार्ण चुने गए है.
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Faridabad News: हरियाणा में फरीदाबाद की अरावली में बसे गांव अनंगपुर में अपने मकानों को बचाने के लिए चल रही मुहिम अब एक आन्दोलन का रूप ले चुकी है. 13 जुलाई को इस गांव में एक महापंचायत का आयोजन हो रहा है, जिसमें देश के हर हिस्से से पक्ष-विपक्ष के राजनेताओं सहित दूसरी यूनियन के नेता भाग लेंगे. अरावली में पिछले 20 दिनों से सुप्रीम कोर्ट आदेश पर वन विभाग नगर निगम के साथ मिलकर अवैध निमार्ण को गिरा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वन विभाग अरावली के वन क्षेत्र में बने अवैध निमार्ण को तोड़ रहा है. वन विभाग ने करीब 20 दिन पहले इस कार्रवाई शुरू किया था. वन विभाग ने इससे पहले एक सर्वे भी किया था. जिसमें 700 जगहों पर 6 हजार से ज्यादा अवैध निमार्ण चुने गए है. इनमें अरावली में बसे गांव अनंगपुर, मेवला महाराजपुरा, अनखीर और लकड़पुर में सबसे ज्यादा अवैध निमार्ण पाए गए. फरीदाबाद वन विभाग अधिकारी राजकुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई हो रही है. वन विभाग को जुलाई के अंत तक सुप्रीम कोर्ट में कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपनी है. अरावली वन क्षेत्र से 6 हजार से अधिक छोटे-बड़े अवैध निर्माण हटाए जाएंगे. वन विभाग ने अभी तक 80 के करीब बड़े फार्म हाउस को तोड़ दिया है.
गांव अनंगपुर में तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू होने से पहले ही प्रशासन को यहां पर रूकना पड़ गया है. कई बार प्रशासन ने यहां पर तोड़फोड़ की कार्रवाई करने की कोशिश की, लेकिन गांव वालों के प्रदर्शन और राजनीतिक दबाव के चलते टीमों को पीछे हटना पड़ा. यहां तक की बीते मंगलवार को एक मकान को तोड़े जाने के दौरान टीमों पर पथराव हुआ और पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा.
अनंगपुर गांव के ग्रामीणों को कहना है कि उनके पूवर्ज हजारों सालों से इस गांव में रहते आ रहे है. जब कोई फॉरेस्ट कानून भी नहीं बना था, तभी से उनके पूवर्ज यहां रह रहे है. उनका जन्म यहां पर हुआ है तो ऐसे में जिन जमीनों में उनके घर बने है वो अवैध कैसे हो सकती है. जिन लोगों ने गलत तरीके से निमार्ण किया है वो सड़क के साथ है प्रशासन उन पर कार्रवाई कर रहा है. लेकिन उनके साथ हमारे गांव में बने मकानों को अवैध कि आधार पर बताया जा रहा है. उनके घरों पर बिजली के कनेक्शन लगे हुए है . उनका गांव लाखों रूपए का बिजली का बिल भरता है. उसके सभी दस्तावेज आधार कार्ड, वोटर कार्ड, परिवार पहचान पत्र यहीं पर बने तो फिर उनके मकान कैसे अवैध हो सकते है.
80 साल के बुजुर्ग बीरेंद्र ने बताया कि उनका जन्म गांव में ही हुआ और उनके बच्चों का जन्म भी इसी गांव में हुआ है. अब अचानक के आकर उनके मकान को अवैध निमार्ण बताया जा रहा है. हर रोज उनको अपने मकान के टूटने का डर लगा रहता है. पहाड़ की जमीन उनके गांव की जमीन है, लेकिन अब उसको अवैध करार कर दिया गया है. वहीं 65 साल के रामबीर ने बताया कि सालों से वह लोग यहां पर रह रहे है. अब एकदम से वो मकान को छोड़कर कहां जा सकते है. जब ये मकान बन रहे थे तब वन विभाग के अधिकारी कहां थे. तभी रोकना चाहिए था कि अप वन क्षेत्र की जमीन पर घर बना रहे हो.
50 साल की बुजुर्ग मितलेश ने बताया कि 33 साल पहले उनकी शादी इसी गांव में हुई थी. उनके पति नहीं है वो अपने बच्चों के साथ यहीं पर रहते है. अगर उनका मकान तोड़ दिया जाएगा तो वह रोड़ पर आ जाएगा. उनके पास रहने के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है. उनके पास सभी प्रकार के दस्तावेज मौजूद है, लेकिन फिर भी उनके मकानों को तोड़ने की तैयारी की जा रही है.
77 साल की पुष्पा ने बताया कि आज उनके घर में छोटे-छोटे बच्चें है. उनके बच्चों के बच्चे हो चुके है. अब उनको रातों को नींद नही आ रही है. सर के छत छिनने का डर उनको हर समय लगा रहता है. अगर उनका मकान अवैध है तो फिर उनके जरूरी कागजात क्यों बनाए गए है. हर महीने वो बिजली का बिल भरते है.
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गांव के लोग दो बार केन्द्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर से मुलाकात कर चुके है. मंत्री ने लोगों को आश्वासन दिया था कि उनके मकानों को तोड़ा नहीं जाएगा. इसके लिए चाहे कानूनी लड़ाई का सहारा ही क्यों नही लेना पड़े. मगर लोगों को कहना है कि एक तरफ मंत्री उनको आश्वासन देते है, दूसरी तरफ जेसीबी उनके गांव के बाहर खड़ी हो जाती है. कृष्णपाल गुर्जर यहां तक कह चुके है कि कोई ताकत गांव के लोगों के मकानों को नहीं तोड़ सकती है.
कांग्रेस के नेता विजय प्रताप ने बताया कि बीजेपी नेताओं की सह पर लोगों के मकानों को तोड़ने की तैयारी की जा रही है. ताकि बीजेपी के नेता यहां पर जमीन पर अपने कब्जा करा सके. 13 जुलाई को गांव में महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें सभी पार्टी के नेताओं को बुलाया जा रहा है. ये मुहिम उन लोगों के मकानों को बचाने की है, जिन्होंने कई साल इन पहाड़ में रहते हुए गुजार दिए. इस पंचायत मे देश के हर हिस्से से नेता, समाजसेवी, किसी यूनियनों सहित तमाम लोग भाग लेंगे. विभाग और सरकार को लोगों के सामने झुकना होगा वो किसी भी कीमत पर मकानों को टूटने नही देंगे.
INPUT: NARENDER SHARMA
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