Haryana News: हरियाणा के अरावली वन क्षेत्र से सटे अनंगपुर गांव में रविवार को एक विशाल महापंचायत का आयोजन हुआ. इस सभा का मुख्य कारण गांव में संभावित तोड़फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ रणनीति बनाना और सरकार पर दबाव बनाना था.
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Faridabad News: हरियाणा के अरावली वन क्षेत्र से सटे अनंगपुर गांव में रविवार को एक विशाल महापंचायत का आयोजन हुआ. इस आयोजन का मेन कारण गांव में संभावित तोड़फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ रणनीति बनाना और सरकार पर दबाव बनाना था. पंचायत में विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेता, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. महापंचायत में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि अगर सरकार ने 30 दिनों के अंदर ग्रामीणों की मांगें नहीं मानीं, तो आगे की रणनीति के तहत बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा. पंचायत की अध्यक्षता सुरेन्द्र सोलंकी, अरुण जेलदार और अतर सिंह ने की.
राकेश टिकैत का हमला
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ट्रैक्टर पर सवार होकर पंचायत वाली जगह पहुंचे. उन्होंने कहा कि पहले यह यूपी में हुआ, फिर दिल्ली और अब हरियाणा में हो रहा है. अगर लोग जाति और धर्म में बंटे रहे, तो सरकारें इसी तरह कार्रवाई करती रहेंगी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का बहाना लेकर उद्योगपतियों को जमीन देना चाहती है, जबकि असल में जंगल काटे जा रहे हैं और गांव उजाड़े जा रहे हैं.
गुरनाम सिंह चढूनी
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि यह अन्याय है. गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलाना धर्मविरुद्ध है. कोर्ट को सही तथ्य नहीं बताए गए. सरकार का काम बसाना है, उजाड़ना नहीं. वहीं AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि AAP यह सिर्फ हरियाणा या किसी एक समाज की लड़ाई नहीं है. दिल्ली के 360 गांव इस आंदोलन के साथ हैं. सरकार अगर कोर्ट में गांव के खिलाफ गई, तो गांव वाले हार जाएंगे. सरकार को चाहिए कि एक हफ्ते में अध्यादेश लाकर इस आदेश को स्थगित करे. साथ ही ह भी कहा कि AAP पूरी तरह से गांव वालों के साथ है.
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महापंचायत में निम्नलिखित प्रमुख निर्णय लिए गए
अनंगपुर गांव में तोड़फोड़ की कार्रवाई तुरंत रोकी जाए.
जिनके निर्माण ढहाए गए, उन्हें मुआवजा दिया जाए.
4500 एकड़ में से 2500 एकड़ भूमि जो ग्रामीणों की मिल्कियत है, वह उनके उपयोग के लिए छोड़ी जाए.
सरकार सुप्रीम कोर्ट से राहत दिलाने के लिए अध्यादेश लाए.
जब तक मांगें नहीं मानी जातीं, गांव में शांतिपूर्वक धरना जारी रहेगा.
सरकार को 15 से 30 दिन का समय दिया गया है. उसके बाद आंदोलन तेज किया जाएगा.
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