Gurugram: गुरुग्राम में एक कथित अल्ट्रासाउंड सेंटर की आड़ में पिछले करीब 1 साल से अवैध रूप से आईवीएफ, आईयूआई और सेरोगेसी जैसी संवेदनशील चिकित्सा प्रक्रियाएं चलाई जा रही थीं. सेंटर की सेवाएं न केवल देशभर में, बल्कि विदेशों तक फैली थीं.
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Gurugram News: सुशांत लोक फेज-1 स्थित एक कथित अल्ट्रासाउंड सेंटर की आड़ में पिछले करीब 1 साल से अवैध रूप से आईवीएफ, आईयूआई और सेरोगेसी जैसी संवेदनशील चिकित्सा प्रक्रियाएं चलाई जा रही थीं. हाल ही में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में इस अनियमितता का खुलासा हुआ है. इसके बाद से ही मामले ने गंभीर रूप ले लिया है.
विदेशी मरीज बन रहे थे टारगेट
सूत्रों के अनुसार सेंटर की सेवाएं न केवल देशभर में, बल्कि विदेशों तक फैली थीं. हालिया जांच में एक चीनी नागरिक और ऑस्ट्रेलिया में रह रहे एक दंपती का इलाज इसी सेंटर में चलने की बात भी सामने आई है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सेंटर का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैल चुका था. कुछ समय पहले जिला प्रशासन को सूचना मिली थी कि गुरुग्राम में कई अल्ट्रासाउंड और फर्टिलिटी क्लीनिक बिना वैध लाइसेंस के संचालित किए जा रहे हैं. शुरुआती छानबीन में 10 ऐसे केंद्र चिह्नित किए गए, जिनमें से 9 में दस्तावेजी खामियां पाई गईं. जांच में यह बात भी सामने आई कि सुशांत लोक-1 में एक अल्ट्रासाउंड सेंटर की आड़ में ‘फर्टिलिटी ट्रू सेंटर’ नामक संस्था अवैध रूप से कार्य कर रही थी.
टीम ने की छापेमारी
उपायुक्त अजय कुमार के निर्देश पर गठित विशेष टीम ने 2 दिन पहले उक्त सेंटर पर छापा मारा था. सेंटर की संचालिका मंजू शर्मा वैध अनुमति पत्र प्रस्तुत करने में असमर्थ रहीं. इसके बाद पुलिस ने सेंटर में मौजूद 84 भ्रूण (एंब्रियो) को कब्जे में लेकर उन्हें सुरक्षित रूप से दूसरे अस्पतालों में स्थानांतरित किया. सेक्टर-29 थाने में मंजू शर्मा सहित 12 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस और स्वास्थ्य विभाग अब यह भी जांच कर रहे हैं कि किन-किन अस्पतालों से इस सेंटर के संबंध थे और कितने मरीजों को यहां सेवाएं दी गईं.
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महिलाओं को एग डोनेशन के लिए लालच
जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि कुछ महिलाओं को अंडाणु (एग) डोनेट करने के लिए आर्थिक प्रलोभन दिया गया था. सेंटर ने इलाज के नाम पर मरीजों से लाखों रुपये वसूले, जो सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है. प्रशासन इस कोण से भी जांच कर रहा है कि कहीं भ्रूण के लिंग की पहचान के बाद ही आईवीएफ प्रक्रिया तो नहीं की जा रही थी. इस संभावना ने जांच को और गंभीर बना दिया है. साथ ही यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि इतने लंबे समय तक सेंटर बिना किसी अनुमति के शहर के पॉश इलाके में कैसे संचालित होता रहा. मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया का इंतजार है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. अलका सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.
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