Anshul Kamboj: मैनचेस्टर टेस्ट में भले ही अंशुल प्लेइंग-11 में सीधे उतरें या न उतरें, लेकिन भारतीय ड्रेसिंग रूम का हिस्सा बनना किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए सपना होता है. अंशुल ने यह सपना मेहनत से पाया है जो आज वो यहां तकि पहुंच सका है.
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Anshul Kamboj: करनाल के लड़के ने कमाल कर दिखाया. इंग्लैंड में अंशुल कंबोज धमाल करेगा. दअरसल, करनाल के इंद्री के फाजिलपुर गांव का लड़का अंशुल कंबोज इंग्लैंड जा रहा है. 23 जुलाई से होने वाले मुकाबले में इंग्लैंड के खिलाफ अंशुल कंबोज का डेब्यू हो सकता है, जो 15 खिलाड़ियों की टीम होती है उसमें अंशुल कंबोज शामिल हो चुके हैं और उन्हें इंग्लैंड बुलाया गया है.
इंग्लैंड के खिलाफ हो सकती है अंशुल कंबोज का डेब्यू
हरियाणा के एक छोटे से गांव में मिट्टी पर गेंदबाजी के सपने देखने वाला एक लड़का, आज भारत की टेस्ट टीम का हिस्सा है. इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में चोटिल खिलाड़ियों के चलते जब टीम इंडिया को एक नए तेज गेंदबाज की जरूरत पड़ी, तो चयनकर्ताओं की नजर करनाल के इस युवा खिलाड़ी पर पड़ी और क्यों न पड़ती? उनके आंकड़े, जज्बा और मेहनत ने उन्हें इस लायक बना दिया है. टीम इंडिया के दो मुख्य तेज गेंदबाज, आकाशदीप और अर्शदीप सिंह, दोनों फिलहाल चोट से जूझ रहे हैं. ऐसे में 23 जुलाई से शुरू होने जा रहे मैनचेस्टर टेस्ट के लिए एक भरोसेमंद गेंदबाज की जरूरत थी. अंशुल ने घरेलू क्रिकेट में जो प्रदर्शन किया है, वह उन्हें खुद-ब-खुद इस स्तर तक ले आया.
अंशुल कंबोज के कोच
अंशुल के कोच सतीश राणा का कहना है कि मेरी अंशुल कंबोज से बात हुई थी वह खुश है हमारे करनाल के लिए एक बड़ी बात है. बचपन से ही उसे क्रिकेट में काफी दिलचस्पी थी और 11- 12 साल की उम्र से ही जो है वह मेहनत कर रहा है.
अंशुल कंबोज के नाम कई रिकॉर्ड
कोच सतीश राणा ने बताया कि उन्होंने काफी मेहनत की है और जो उनका रिकॉर्ड अब तक उन्होंने बनाया है. अंशुल ने दिलीप ट्रॉफी, रणजी और कई ऐसे मैच है, जिनमें उन्होंने बड़े-बड़े रिकॉर्ड बनाएं और अच्छे परफॉर्मेंस के चलते ही उन्हें इंग्लैंड में बुलाया गया है और अब आगे क्या होगा यह वक्त ही बताएगा. उम्मीदें लगाई जा रही है कि वह शायद इंग्लैंड के खिलाफ अंशुल का डेब्यू हो सकता है. अंशुल को मौका मिल सकता है.
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अंशुल कंबोज का बचपन
हरियाणा के करनाल जिले के फाजिलपुर गांव में जन्मे अंशुल कंबोज की शुरुआत एक आम किसान परिवार से हुई. पिता उधम सिंह एक किसान हैं, लेकिन बेटे के क्रिकेट के जुनून को उन्होंने बचपन से ही पहचाना. महज 6 साल की उम्र में अंशुल की क्रिकेट ट्रेनिंग शुरू हो गई थी. परिवार ने उन्हें ओपीएस विद्यामंदिर में इसलिए दाखिल कराया, ताकि पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट में भी उनका सफर रुक न जाए.
अंशुल कंबोज की उपलब्धियां
रणजी ट्रॉफी 2023-24 में 6 मैच में 34 विकेट
इंग्लैंड लायंस के खिलाफ भारत-A की ओर से शानदार गेंदबाजी
दलीप ट्रॉफी 2024-25 के टॉप विकेट टेकर
केरल के खिलाफ एक पारी में 10 विकेट लेकर रचा इतिहास. ऐसा करने वाले वह भारत के सिर्फ तीसरे गेंदबाज बने.
विजय हजारे ट्रॉफी में हरियाणा की जीत में अहम भूमिका
मैनचेस्टर टेस्ट में भले ही अंशुल प्लेइंग-11 में सीधे उतरें या न उतरें, लेकिन भारतीय ड्रेसिंग रूम का हिस्सा बनना किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए सपना होता है. अंशुल ने यह सपना मेहनत से पाया है जो आज वो यहां तकि पहुंच सका है.