MP में पहली बार एक ही दिन डबल ट्रांसप्लांट, बेटे ने दिया लिवर, तो भतीजी ने किडनी देकर बचाई जान
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MP में पहली बार एक ही दिन डबल ट्रांसप्लांट, बेटे ने दिया लिवर, तो भतीजी ने किडनी देकर बचाई जान

Indore Liver Transplant: उज्जैन के विनोद जगर की जिंदगी एक समय सामान्य थी, लेकिन लिवर और किडनी की गंभीर बीमारियों ने उन्हें संकट में डाल दिया. डॉक्टरों ने अंग प्रत्यारोपण को ही अंतिम उपाय बताया. इसके बाद, परिवार ने बेटे और भतीजी के अंग दान का फैसला किया.

 

MP में पहली बार एक ही दिन डबल ट्रांसप्लांट
MP में पहली बार एक ही दिन डबल ट्रांसप्लांट

MP Medical News: मध्य प्रदेश के उज्जैन में रहने वाले 48 वर्षीय कॉन्ट्रेक्टर विनोद जगर की जिंदगी अचानक उस मोड़ पर आ गई, जहां हर दिन एक नई चुनौती लेकर आता था. पहले लिवर खराब हुआ, फिर दिसंबर 2024 में पता चला कि किडनी भी फेल हो चुकी है. डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि अब लिवर और किडनी दोनों का ट्रांसप्लांट ही आखिरी रास्ता है. जनवरी 2025 से डायलिसिस शुरू हुआ और इसी के साथ परिवार के सामने सबसे बड़ा फैसला लेने की घड़ी आ गई. इंतजार करना मुश्किल था, इसलिए परिवार ने खुद अंगदान का बीड़ा उठाया.

सभी बेटे लिवर देने को तैयार थे लेकिन 24 वर्षीय मंझले बेटे यश का ब्लड ग्रुप मैच कर गया. यश ने बिना सोचे लिवर देने का निर्णय लिया. दूसरी ओर, किडनी के लिए परिवार की तीनों बुआएं सामने आईं लेकिन फिट नहीं पाई गईं. ऐसे में शादीशुदा भतीजी सीमा यादव ने आगे आकर किडनी देने की सहमति दी और उनके पति व ससुराल वालों ने भी पूरा साथ दिया. 

एक दिन में डबल ट्रांसप्लांट
करीब दो महीने चली इस तैयारी के बाद 6 मई 2025 को इंदौर के विशेष जूपिटर अस्पताल में एक ही दिन में लिवर और किडनी दोनों का प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया गया. सोटो (State Organ and Tissue Transplant Organisation) की अनुमति से हुई इस सर्जरी में करीब 50 डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की टीम शामिल रही. लिवर ट्रांसप्लांट में डॉक्टर अभिषेक यादव, सुरेश शारदा और लड्डा की टीम लगी रही, जबकि उसके बाद डॉ. सनी मोदी की टीम ने किडनी ट्रांसप्लांट किया. दोनों ऑपरेशन मिलाकर यह करीब 15 घंटे की मेहनत के बाद कामयाब सर्जरी रही.

ऑपरेशन पूरी तरह सफल 
डॉक्टर अमित सिंह बरफा से मिली जानकारी के अनुसार, ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा है और अब मरीज को सामान्य वार्ड में शिफ्ट करने की तैयारी है. परिवार के बड़े बेटे विनी जगर ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में सोटो की साइट पर पंजीयन कराया था, लेकिन प्रतीक्षा सूची लंबी थी और समय बेहद कम. ऐसे में उन्होंने इंतजार न करते हुए खुद ही जीवनदान का फैसला किया. उज्जैन के इस परिवार की यह कहानी न केवल प्रदेश में, बल्कि पूरे देश में मानवता और साहस की मिसाल बन गई है.

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