Malvi Cow Breed: आगर मालवा जिले में एक ऐसा केंद्र है, जहां पिछले 69 सालों से एक खास गाय की नस्ल का संरक्षण किया जा रहा है. ये गाय न सिर्फ देखने में सुंदर होती है, बल्कि दूध देने में भी बेमिसाल है. आइए, जानते हैं इस गाय के बारे में कुछ दिलचस्प बातें, जो आपको चौंका सकती हैं.
जानकारी के मुताबिक, आगर मालवा जिले में स्थित शासकीय पशु प्रजनन केंद्र, जिसे आज से लगभग 69 साल पहले स्थापित किया गया था, मध्य प्रदेश की एक महत्वपूर्ण धरोहर को सहेज रहा है. इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य मालवी नस्ल की गायों का संरक्षण और प्रजनन है. यह गाय न सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है, बल्कि इसके स्वभाव में भी एक खास दोस्ताना भी है.
मालवी नस्ल की गायों का रूप काफी आकर्षक होता है. इनकी आंखों में काजल जैसे काले घेरे होते हैं और चेहरा ऐसा होता है, जैसे किसी ब्यूटी पार्लर में मेकअप किया गया हो. इनका व्यवहार बहुत ही शांत और दोस्ताना होता है. जब आप इन्हें थोड़ा सहलाते हैं, तो ये आपके साथ ऐसे घुल-मिल जाती हैं जैसे परिवार का हिस्सा हों.
भारत में कई नस्लों की गायें पाई जाती हैं, लेकिन मालवी नस्ल की गायों का दूध गुणवत्ता और मात्रा दोनों में बेहद प्रसिद्ध है. इस नस्ल की गायें दूध देने में दक्ष होती हैं और यह दूध स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद माना जाता है.
आपको बता दें कि मालवी गायें दिखने में भी बहुत खूबसूरत होती हैं. इनका आकार अपेक्षाकृत बड़ा होता है और रंग सफेद, ग्रे, लाल और काले होते हैं. इनके सींग बाहर की ओर फैले हुए और पैने होते हैं, जबकि कूबड़ पूरी तरह से विकसित होता है. एक पूरी तरह से विकसित गाय 350 से 400 किलो वजन तक हो सकती है.
माना जाता है कि मालवी गाय की देखभाल अच्छे से की जाए, तो यह गाय एक ब्यात में 900 से 1200 लीटर तक दूध दे सकती है. इनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है, यानी ये जल्दी बीमार नहीं होती हैं. इसके अलावा, ये गायें काफी ऊर्जावान और स्वस्थ रहती हैं, जो इन्हें लंबी उम्र तक दूध देने में सक्षम बनाती है.
मालवी गाय के आहार में रोजाना 20 से 25 किलो हरा चारा शामिल होना चाहिए. अगर यह गाय दूध दे रही हो, तो यह चारा मात्रा थोड़ी बढ़ाई जा सकती है. यह गाय प्रति दिन 5 से 12 लीटर तक दूध देती है. इसकी खासियत यह है कि यह A2 दूध ( ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक) देती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शासकीय पशु प्रजनन केंद्र की स्थापना 13 जून 1956 को मध्यभारत के मुख्यमंत्री तख्तमल जैन ने की थी. इस केंद्र का उद्देश्य मालवी नस्ल की गायों का संरक्षण और सांडों का उत्पादन था, ताकि यह नस्ल और उसके उत्पाद बढ़ सके. इस केंद्र के द्वारा इस गाय की नस्ल की रक्षा की जा रही है और लोगों को इसके फायदे के बारे में जागरूक किया जा रहा है.
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