Abchand Caves-मध्यप्रदेश का सागर जिला बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे बड़े जिलों में से एक है. यहीं से बुंदेलखंड की शुरुआत होती है, यह जिला हर मायने में खास है. सागर जिले में एक ऐसी जगह मौजूद है जो 10 हजार सालों पुरानी कहानी कहती है. मानव विकास की कहानी को दर्शाती यहां प्राचीन गुफाएं हैं, जहां मानवों का इतिहास पत्थरों पर दर्ज है. मानव सभ्यता की इस ऐतिहासिक धरोहर के बारे में जानते हैं.
सागर जिले में मौजूद आबचंद के जंगल में 10 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी सात गुफाएं हैं. इन ऐतिहासिक गुफाओं की बनावट बेहद ही अजीब है. आबचंद की गुफाओं में शिकार, मनोरंजन, पशुपालन और युद्ध के साथ कई तरह के शैलचित्र देखने को मिल जाएंगे.
हजारों साल पुरानी इन गुफाओं को आदिमानवों का आवास कहा जा सकता है. आबचंद की गुफाओं में अलग-अलग कालों के शैलचित्र मौजूद हैं. गुफाओं की चट्टानों पर चट्टानों पर बने अमिट शैलचित्र, डोली लिए कहार तो हाथी-घोड़ों के अक्स चट्टानों में शेलचित्र बने चित्रों में कई प्रकार की आकृतियां बनी है.
यह क्षेत्र पहाड़ियों से घिरा होने से बेहद ही खूबसूरत लगता है. जंगलों में बसी यह जगह खूबसूरती के साथ-साथ अपने इतिहास के लिए भी जानी जाती है. लेकिन इन गुफाओं में सुरक्षा के लिहाज से जाली लगाई गई है.
आबचंद के शैलचित्रों में इंसानों के विकास की कहानियां दिखाई देती हैं. इन गुफाओं में अलग-अलग कालों के शैलचित्र देखने को मिलते हैं. उच्च पुरापाषाण काल से लेकर मध्य पाषण युग तक का इतिहास यहां मौजूद है.
इस अलावा यहां आदिमानवों के द्वारा पत्थरों से तैयार किए गए कई उपकरण भी मौजूद हैं. यहां बने शैलचित्रों की अपनी अलग ही खासियत है. इन्हें मिटाने पर भी ये नहीं मिटते हैं, यह अमिट हैं. यहां आने वाले लोग इसे कुदरत का करिश्मा बताते हैं.
इतिहासकार मानते हैं कि उस समय कोई भाषा का माध्यम नहीं थी, इसलिए अपनी बात को समझाने के लिए शैलचित्र बनाए जाते थे. हालांकि, ये आकृतियां क्यों बनी है, इनका मकसद क्या है कोई नहीं बता पाया है.
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