Tur Farming Tips: मध्य प्रदेश में खेती किसानी बड़े पैमाने पर की जाने लगी है. सभी इलाकों में अलग अलग फसलों की खेती की जाती है. लेकिन नरसिंहपुर, शहडोल, सागर और रीवा जिले में ज्यादातर दलहनी फसलों की खेती की जाती है. इनमें सबसे ज्यादा अरहर यानि तुअर दाल की खेती होती है. आइए आज हम आपको बताते हैं, अरहर की खेती के लिए सबसे अच्छी किस्में कौन-कौन सी हैं.
अरहर, जिसे तुअर दाल भी कहा जाता है. इस दाल की डिमांड काफी ज्यादा है, क्यों कि यह खाने में ज्यादा स्वादिष्ट होती है. इसके अलावा, यह काफी महंगी भी बिकती है, तो इसकी खेती करने से किसानों को अच्छा खासा मुनाफा भी हो जाता है. आपको बता दें अरहर की खेती ज्यादातर बारिश के मौसम में होती है. यह फसल कम पानी में भी आसानी से उगाई जा सकती है.
वहीं कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा समय बारिश का है. इस मौसम में दलहनी फसलों की खेती कर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है. आज के समय में अरहर की कई उन्नत किस्में हैं, जिनकी पैदावार अच्छी होती है, जो जल्दी भी तैयार हो जाती है. इसके अलावा, यह कीड़ों से भी बची रहती है. आइए इन पांच किस्मों के बारे में बताते हैं, जिससे किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.
अरहर की TS-3R किस्म एक पछेती किस्म मानी जाती है, जो थोड़ा समय लेकर पकती है. इस किस्म की बुवाई मॉनसून आने के बाद की जाती है. इस फसल को तैयार होने में लगभग 150 से लेकर 170 दिन का समय लगता है. यह किस्म कीटों से लड़ने में क्षमता रखती है. इसकी उपज भी लगभग 1 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. इस किस्म को IARI द्वारा विकसित किया गया है.
अरहर की एक और अच्छी किस्म है, जो जल्दी तैयार हो जाती है. इसका नाम है पूसा-992. इस किस्म का दाना भूरा, मोटा और चमकदार होता है. यह किस्म 120 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है. इस किस्म की पैदावार लगभग 6 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से हो सकती है.
यह किस्म अगेती किस्मों में से एक मानी जाती है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह जल्दी 120 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म की बुवाई जुलाई महीने में की जाती है. इसके पौधे की लंबाई छोटी और दाने मोटे होते हैं. इसकी पैदावार लगभग 1 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है.
अरहर की ICPL-87 किस्म, के पौधों की लंबाई कम होती है, जो 130 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है. सबसे खास बात यह है कि इसकी फलियां मोटी, लंबी और गुच्छों में आती है. इसकी पैदावार भी लगभग 15 क्विंटल से लेकर 20 क्विंटल तक पैदावार देती है.
अरहर की IPA-203 किस्म की बुवाई जून-जुलाई महीने में की जाती है. इसके लिए यह किस्म रोगों से लड़ने में सक्षम मानी जाती है. इसके अलावा, पैदावार लगभग 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से हो सकती है. (नोटः यहां दी गई जानकारी सिर्फ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक है. खेती करने से पहले कृषि एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें.)
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