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Ujjain News: बाबा महाकाल की दूसरी सवारी में दिखा अनोखा नजारा, सांस्कृतिक रंगों में रंगा शहर

Somvaar Baba Mahakal Sawari: उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की दूसरी सवारी सोमवार, 21 जुलाई को निकाली गई. इस दौरान लोक और आदिवासी संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला. दरअसल मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की पहल पर 8 विशेष नृत्य दलों को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने विशेष प्रस्तुति दी. बता दें कि दूसरे सोमवार को बाबा महाकाल हाथी पर मनमोहन स्वरूप और चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में नगर भ्रमण के लिए निकले.

बाबा महाकाल की दूसरी सवारी

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 बाबा महाकाल की दूसरी सवारी

आज यानि सोमवार 21 जुलाई को बाबा महाकाल रजत पालकी में चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में नगर भ्रमण पर निकले. इस दौरान सड़कों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.

 

दूसरी सवारी में दिखा अनोखा नजारा

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दूसरी सवारी में दिखा अनोखा नजारा

इस बार बाबा महाकाल की दूसरी सवारी भक्तिभाव से परिपूर्ण और लोक एवं जनजातीय संस्कृति की अनूठी छटा लिए हुए थी. मुख्यमंत्री मोहन यादव की पहल पर कई राज्यों से विशेष नृत्य दलों को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने सवारी मार्ग और क्षिप्रा के तट पर पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए.

 

सीएम मोहन यादव ने की पूजा

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सीएम मोहन यादव ने की पूजा

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने मंदिर प्रांगण में बाबा महाकाल का पूजन किया. आपको बता दें कि श्रावण और भाद्रपद में कुल 6 सवारियां निकाली जानी हैं.

 

सवारी मार्ग पर मनमोहक प्रस्तुतियां

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सवारी मार्ग पर मनमोहक प्रस्तुतियां

भगवान महाकालेश्वर की सवारी के साथ-साथ पूरे मार्ग में टोलियां अपनी प्रस्तुतियां दे रही थीं. जिससे लोगों में खासा उत्साह देखा गया. लोग अलग-अलग चीज़ें देखकर खूब रोमांचित हुए.

 

इन राज्यों की विशेष प्रस्तुतियां

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इन राज्यों की  विशेष प्रस्तुतियां

सवारी में भगोरिया नृत्य, (झाबुआ एमपी), सोंगी मुखौटा नृत्य (नासिक, महाराष्ट्र), राठवा आदिवासी होली नृत्य (गुजरात), गैर-घुमरा आदिवासी नृत्य (राजस्थान), जोड़ी शंख (ओडिशा), पंथी लोक नृत्य (छत्तीसगढ़), हरियाणवी घूमर (हरियाणा), बरेदी लोक नृत्य (छतरपुर, मध्य प्रदेश) की विशेष प्रस्तुतियां दी गईं.

 

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रामघाट पर बाबा महाकाल के सवारी के आगमन पर क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर विशेष प्रस्तुतियां दी गईं. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे और चारों ओर बाबा महाकाल के जयकारे गूंजते रहे.

 

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बता दें कि महाकाल मंदिर में वैसे तो हमेशा ही भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन के महीने में यहां का भक्तिमय माहौल काफी अद्भुत होता है. लोग बाबा भोलेनाथ की भक्ति में डूबे रहते हैं.

 

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