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Vanaraja Poultry Farming: शहडोल के किसान ने घर के आंगन में लगाया चलता-फिरता एटीएम! दिन दूनी रात चौगुनी हो रही कमाई

Shahdol Vanaraja Poultry Farming: मध्य प्रदेश में आज भी लोग अपना जीवन यापन करने के लिए अलग अलग तरह के काम कर रहे हैं. कोई खेती कर रहा है, तो कोई अपना छोटा धंधा कर रहा है. यानि सब अपना गुजारा करने के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं. ऐसा ही एक विंध्य के इलाके में देखने को मिला है, जहां पर एक ऐसा व्यापार किया जा रहा है, जो न सिर्फ पेट भर रहा है, बल्कि लोगों की आय भी दोगुनी कर रहा है. यहां के किसान अपने घर के आंगन और पीछे हिस्से में मिनी फार्म खोलकर तगड़ी कमाई कर रहे हैं.

मुर्गी पालन का व्यापार

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मुर्गी पालन का व्यापार

दरअसल, विंध्य का शहडोल इलाका जनजाति बाहुल्य इलाका माना जाता है. जहां पर किसान खेती के साथ-सात कई तरह के व्यापार करते हैं. इनमें पशुपालन, बकरी और मुर्गी पालन बड़े पैमाने पर करते हैं. 

फार्मिंग अच्छा कारोबार

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फार्मिंग अच्छा कारोबार

यहां के कई किसानों ने पोल्ट्री फार्मिंग को अच्छा कारोबार माना है. यहां देशी नस्ल की मुर्गियां, खासकर कड़कनाथ और वनराजा, सबसे ज्यादा पाली जाती हैं. इन नस्लों को खुले में और कम खर्च में आसानी से पाला जा सकता है. इससे ज्यादा कमाई भी होती है. 

इसकी खासियत जानें?

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इसकी खासियत जानें?

वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति के मुताबिक, वनराजा मुर्गा बैकयार्ड पोल्ट्री में पाला जाता है. इसकी देखरेख और खाना बिलकुल देशी मुर्गियों की तरह ही होता है. खास बात यह है कि इसका इस्तेमाल मीट और अंडे, दोनों के लिए किया जाता है.

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ग्रामीण इलाकों में घर के पीछे खाली जगह को किसान पोल्ट्री के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. वनराजा को ज्यादा सुविधाओं की जरूरत नहीं होती, यह आसपास उपलब्ध प्राकृतिक आहार से ही अच्छा पल जाता है.

मांस से भरपूर ऊर्जा

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मांस से भरपूर ऊर्जा

इन जनजाति इलाकों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. वनराजा के मांस में भरपूर ऊर्जा होती है, जो कुपोषण से लड़ने में मददगार है. इस वजह से यह सेहत और कारोबार, दोनों के लिए फायदेमंद है.

ग्रोथ में वनराजा खास

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ग्रोथ में वनराजा खास

ग्रोथ के मामले में भी वनराजा खास है. यह महज चार हफ्ते में 700–800 ग्राम तक हो जाता है और 10 महीने में इसका वजन करीब 4 किलो पहुंच जाता है.

पोषण से होते हैं भरपूर

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पोषण से होते हैं भरपूर

अंडे देने में भी यह आगे है. एक साल में वनराजा मुर्गी 120 से 150 अंडे देती है, जो हल्के ब्राउन रंग के होते हैं और पोषण से भरपूर होते हैं. जिससे किसान अच्छी कमाई कर लेता है. 

 

यहां की क्या पहचान है?

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 यहां की क्या पहचान है?

कड़कनाथ मुर्गा भी यहां की पहचान है, जिसे न्यूट्रिशन के लिए बेहतरीन माना जाता है. किसानों के लिए वनराजा और कड़कनाथ, दोनों ही कमाई और पोषण का बढ़िया साधन बनते जा रहे हैं.

 

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