Rewa Health News: न गांजा...न शराब, एमपी के बच्चे इस नशे के हो रहे आदी, मां-बाप को भी नहीं लग रहा पता
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Rewa Health News: न गांजा...न शराब, एमपी के बच्चे इस नशे के हो रहे आदी, मां-बाप को भी नहीं लग रहा पता

Mobile Radiation Effects: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं. वहीं मिली जानकारी के मुताबिक, इसका आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. वहीं हैरानी की बात यह है कि डॉक्टरों की समझाइश के बाद भी माता-पिता ध्यान नहीं दे रहे हैं.

एमपी के बच्चे इस नशे के हो रहे आदी
एमपी के बच्चे इस नशे के हो रहे आदी

Rewa Doctors Warning: मध्य प्रदेश के रीवा जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. पता चला है कि मोबाइल की लत से बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि प्रदेश में भी इसके मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. वहीं डॉक्टरों के समझाने के बावजूद भी परिजन उस तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे हैं. वहीं परिजनों की लापरवाही के चलते प्रदेश में मामले लगातार बढ़ रहे हैं. कोविड के बाद से इन मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. क्योंकि मां-बाप छोटे बच्चों को मोबाइल देकर बच्चों से पीछा छुड़ा लेते हैं, जो बच्चों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है. 

दरअसल, बच्चों के दिमाग का विकास 2 से 5 साल की उम्र में होता है. इसी समय बच्चा नई-नई चीजें सीखता है. इन्हीं सालों में दूसरों की बात समझना और खुद की बात को कहना सीख पाता है. इसके अलावा, दूसरों से घुलना मिलना भी शामिल बताया जा रहा है. ऐसे समय में बच्चों के साथ में मोबाइल देने पर उनका मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता है. मिली जानकारी के मुताबिक, रीवा के अंदर ही माता पिता अपने 3 से 10 साल के बच्चों को लेकर पहुंच रहे हैं, जो न तो किसी से बात करते हैं, न ही किसी से नजर मिलाते हैं. अपनी उम्र के बच्चों के साथ भी नहीं खेलते हैं. वहीं इसको लेकर मनोचिकित्सकों ने मोबाइल से दूर रखने की सलाह दी है. 

ये बच्चे शिकार
वहीं मनोचिकित्सक ने बताया कि वर्चुअल ऑटिज्म तंत्रिका तंत्र का विकास न होने पाने की वजह से होता है. ज्यादातर 3 से 5 साल की उम्र के बच्चों को अपना शिकार बना रहा है. ऐसा अक्सर मोबाइल समेत इलेक्ट्रिक गैजेट्स की लत से होता है. हालांकि इस बीमारी से अब बड़े बच्चों सहित युवा और उम्र दराज लोग भी पीड़ित हो रहे हैं. अपने आप में ही मगन रहना या फिर किसी से किसी प्रकार की बातचीत न करना भी इस बीमारी का लक्षण है.

यहां जानें लक्षण
1. बच्चा जब बोलने में देरी करे.
2. हमेशा फोन की मांग करना.
3. परिजनों व किसी से भी नजर न मिलाना.
4. नाम पुकारने पर अनसुना करना.
5. सोचने, समझने की क्षमता कम होना.

क्या करने चाहिए
1. बच्चों को दो घंटे से ज्यादा मोबाइल न दें.
2. दस साल तक के बच्चे सात से आठ यंटे तक जरूर सोएं.
3. अभिभावक बच्चों के साथ ज्यादा वक्त बिताएं.

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