यूपी के इस गांव में होली के दिन छिप जाते हैं पुरुष, नहीं खेल सकते रंगों का त्योहार, परंपरा तोड़ी तो भुगतना होता है परिणाम
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यूपी के इस गांव में होली के दिन छिप जाते हैं पुरुष, नहीं खेल सकते रंगों का त्योहार, परंपरा तोड़ी तो भुगतना होता है परिणाम

Holi 2025: हमारे देश में रंगों का त्योहार होली अलग-अलग तरह से मनाया जाता है.भारत में एक जगह ऐसी है जहां सिर्फ महिलाएं ही होली खेलती है. ये जगह कहीं और नहीं यूपी में है.मर्दों और बच्चों तक को होली खेलने की इजाजत नहीं है. आइए जानते हैं. 

Holi 2025
Holi 2025

Holi 2025: होली खुशियों का त्योहार है. इस त्योहार के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हैं. देश के कोने-कोने में इसके लेकर तरह तरह की प्रथाएं हैं. इस त्योहार के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हैं. यूपी में एक ऐसा जिला है जहां पर होली खेलने का हक केवल महिलाओं के पास ही है. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के कुंडौरा गांव की.ये सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगता है, पर ये सच है. करीब 5 हजार की आबादी वाले इस गांव में पुरूषों के होली खेलने पर रोक लगी हुई है. आपने देखा होगा कि होली पर गावों में पुरुष ढ़ोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते टोली निकालते हैं. लेकिन यहां पर सब कुछ उल्टा होता है. आइए जानते हैं कि यहां पर ऐसा क्यों है..

हमीरपुर की सालों पुरानी परंपरा

हमीरपुर के कुंडौरा गांव में छह दशकों से भी ज्यादा समय से महिलाओं द्वारा अनूठी होली खेलने की परंपरा है. जब महिलाएं होली खेलती हैं तो सभी गांव के पुरुष घरों में कैद हो जाते है या देर शाम तक खेत खलिहानों में ही रहते है. ऐसी यहां की परंपरा है. परंपरा के अनुसार इस होली को पुरुष नहीं देख सकते हैं.

महिलाएं मचाती हैं धमाल

होली के पूरे दिन यहां पर बूढ़ी और घूंघट वाली महिलाएं पूरे गांव में धमाल मचाती हैं. ये होली पूरे दिन चलती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक होली की फाग का शुभारंभ गांव के ऐतिहासिक रामजानकी मंदिर से होता है. पूरे गांव के गली कूचों और मोहल्लों में होली की धमाल करने के बाद महिलाओं की फाग खेरापति बाबा के मंदिर परिसर में खत्म होती है. ऐसा कहा जाता है कि ये परंपरा छह दशक पूर्व महिलाओं ने शुरू की थी.

क्या है इसके पीछे का कारण

इस अजीबोगरीब परंपरा के पीछे ग्रामीणों का तर्क है कि तीस साल पहले होली के दिन गांव के रामजानकी मंदिर में जब गांव वाले फाग गा रहे थे कि तभी इनामी डकैत मेम्बर सिंह ने गांव के ही रजपाल पाल (50) की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना का गांव वालों पर ऐसा असर हुआ कि लोगों ने होली मनाना बंद कर दिया. महिलाओं ने काफी कोशिश की गांव में होली का त्योहार फिर से शुरू हो जाए लेकिन गांव के पुरूषों ने महिलाओं की बात मनाने से इंकार कर दिया.इसके बाद से महिलाओं ने निर्यण लिया कि वे होली खेलेंगी.

इसके लिए वे गांव में बने रामजानकी मंदिर में इकट्ठा हुईं और होली की सभी रस्मों को निभाते हुए होली के त्योहार मनाना शुरू किया. गांव के बुजुर्गों से पर्दा करने वाली महिलाएं इस दिन घूंघट नहीं करती हैं. महिलाओं की टोली नाच गाने के साथ गांव के हर छोटे बडे मंदिर में जाती है. उस समय गांव के पुरुष गांव की गलियों से हटकर या तो घरों में कैद हो जाते हैं या फिर उन्हें खेल और खलिहान की ओर निकलना पड़ता है. महिलाओं का फाग खत्म होने के बाद ही पुरुषों को घर लौटने की इजाजत है.

डिस्क्लेमर

इस लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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