chaitra navratri 2025: नैमिषारण्य में गिरा था सुदर्शन चक्र, मां ललिता शक्ति के दर्शन के लिए नवरात्रि में उमड़ती है भीड़
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chaitra navratri 2025: नैमिषारण्य में गिरा था सुदर्शन चक्र, मां ललिता शक्ति के दर्शन के लिए नवरात्रि में उमड़ती है भीड़

chaitra navratri 2025: सीतापुर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूरी पर गोमती नदी के किनारे नैमिषारण्य मंदिर है. नैमिषारण्य में स्थित 108 पीठ में से मां ललिता देवी शक्तिपीठ का विशेष महत्व है. नवरात्रि के मौके पर यहां लगता है श्रद्धालुओं का तांता

Sitapur Naimisharanya Shaktipeeth
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राजकुमार दीक्षित/सीतापुर:विश्वप्रसिद्ध तीर्थ नैमिषारण्य तीर्थों की नगरी कही जाती है. यहां स्थित आदिशक्ति ललिता देवी का अति प्राचीन मंदिर है. देवीभागवत पुराण के अनुसार जब राजा जन्मेजय ने व्यास जी से देवी के जाग्रत स्थानों के बारे में पूछा तो उन्होंने जिन 108 शक्तिपीठों का वर्णन किया था. उनमें नैमिष  तीर्थ स्थित मां ललिता देवी का दरबार भी है,देवी भागवत में इस शक्ति को लिंगधारिणी कहा गया है.नवरात्रि के दिनों में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैं.नवरात्रि के लिए तैयारियां चल रही है.

नवरात्रि के लिए सजा मंदिर
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में नैमिषारण्य में मां ललिता देवी शक्तिपीठ में नवरात्रि के अवसर पर तैयारियां जोरों पर हैं.  मां ललिता देवी का दरबार फूल मालाओं से सजाया गया है.  मां ललिता देवी शक्तिपीठ की भव्य सजावट की गई है. 30 मार्च से शुरू होने वाले नवरात्र में दूर दराज से लोग नैमिषारण्य धाम पहुंचेंगे और मां के दर्शन करेंगे.

 88000 ऋषि मुनियों की तपोभूमि 
नैमिषारण्य में माललिता देवी का दरबार आस्था का केंद्र है. वैसे तो यहां पूरे वर्ष लाखों श्रद्धालु आकर माता रानी के दर्शन कर निहाल होते हैं, मगर नवरात्रि में देवी भक्तों का उत्साह देखने लायक होता है. पूरे देश से लोग नवरात्र में नैमिषारण्य धाम में मां ललिता देवी शक्तिपीठ के दर्शन करने आते हैं. ऐसी  मान्यता है कि मां ललिता देवी शक्तिपीठ में भक्त जो मनोकामना लेकर आते हैं वह उनकी पूरी हो जाती है. नवरात्रि को लेकर नैमिषारण्य धाम में मां ललिता देवी शक्तिपीठ पर तैयारियां की गई. मां की इस शक्तिपीठ को भव्य सजावट कर नवरात्रि में  मां के भक्ति दर्शन प्राप्त करेंगे.

पौराणिक मान्यता
नैमिष महात्म्य के अनुसार जब भगवान ब्रम्हा द्वारा भेजा गया ब्रह्मनोमय चक्र पृथ्वी के साढ़े छ:पाताल भेद चुका था. तब देवों और ऋषियों की विनती पर मां ललिता ने ही उसे अपनी दाहिनी भुजा से उसको रोका था. तबसे इनका नाम चक्रधारिणी भी कहा जाता है.मान्यता के अनुसार देवी भागवत के अनुसार, जब प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आयोजन किया था. जिसमें सभी देवताओं एवं ऋषिगणों कॊ आमंत्रित किया मगर भगवान भोले शंकर कॊ नही बुलाया था जिससे माता सती अपने पति का अपमान देखकर क्रोधित हो पिता दक्ष के यज्ञ मे कूद गई थीं. तब शिव ने सती के वियोग में माता सती के शव कॊ लेकर घूमने लगे. जिससे भगवान विष्णु ने सती के वियोग कॊ भंग करने के लिये अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर कॊ एक सौ आठ टुकडों मे बांट दिया और यहां माता का ह्रदय अंग गिरा. जिससे मां ललिता देवी शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हुईं.

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