CM Yogi in UP Assembly Speech: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार के 'विजन डॉक्यूमेंट' को लेकर विधानसभा में हो रही चर्चा पर जवाब दिया. मुख्यमंत्री ने 2017 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश सरकार की उपलब्धियां गिनाईं. साथ ही 2047 का विजन भी दिखाया.
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CM Yogi Speech in UP Assembly: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आज आखिरी दिन है. गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार के 'विजन डॉक्यूमेंट' को लेकर सदन में हो रही चर्चा पर जवाब दिया. मुख्यमंत्री ने 2017 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश सरकार की उपलब्धियां गिनाईं. साथ ही 2047 का विजन भी दिखाया. मुखमंत्री ने कहा, यूपी में कुछ कालखंड ऐसे भी आये जिनमें न केवल आर्थिक तालाबंदी हुई बल्कि जीडीपी भी रसातल में पहुंचा दी गई थी. इस विशेष सत्र में चर्चा के लिए भाग लेने वाले सदस्यों का मुख्यमंत्री ने आभार जताया.
मुख्यमंत्री ने विजन 2047 चर्चा के दौरान सदन में कहा, "ये चर्चा उन लोगों की आंखे खोलने वाली है, जो विधायिका पर व सदस्यों के आचरण पर उंगली उठाते हैं. ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में पीएम ने कहा था कि यूपी भारत की ग्रोथ को ड्राइव करने वाला इंजन है. आज़ादी के अमृत वर्ष में पीएम ने जो संकल्प लिया था उसमें एक संकल्प विकसित होने का भी था, इसके लिए राज्यों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है. जिसकी जितनी दृष्टि होगी वो उतना ही बोलेगा."
शायराना अंदाज में साधा निशाना
सीएम ने कहा, "विकसित भारत के लिए उत्तरप्रदेश को योगदान देना होगा,देश में खुशहाली हो तो क्या उत्तरप्रदेश उसका सहभागी नहीं बनना चाहिए? आज के बाद अगले 30 वर्षों के लिए यह समय आत्मावलोकन का है. 2017 के पहलेहमारे नेता प्रतिपक्ष बुजुर्ग हैं, जब स्वयं से बोलते हैं तो थोड़ा सही बोल लेते हैं, बोलते बोलते मुर्गे तक बात आ गई. मुझे भी कुछ याद आ गया "बड़ा हसीन है इनकी ज़बान का जादू,लगा के आग बहारों की बात करते हैं, जिन्होंने रात में चुन चुनकर बस्तियां लूटीं,वही नसीबों के मारों की बात करते हैं."
विपक्ष पर बोला हमला
मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, "इनके विजन को देख रहा था, यह विकास के लिए कम सत्ता के लिए ज्यादा था. चार्वाक ने इसीलिए कहा था- यावत जीवेत, सुखम जीवेत..ऋणम कृत्वा घृतं पीवेत.. परिवारवादी डेवलेपमेंट अथॉरिटी का यही मंत्र है. लोग कूप मण्डूक की तरह उसी परिवार तक ही सीमित सोच रखने वाले हैं."
रसातल में पहुंचा दी थी यूपी की जीडीपी
सीएम ने कहा, 2014 के बाद पीएम मोदी के विजन से जो यात्रा शुरू हुई, 2025 में भारत विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, ये होती है, विजन की यात्रा. भारत आज आज अपने शक्ति सामर्थ्य का दुनिया को पहचान करवा रहा है. उत्तरप्रदेश के कुछ कालखंड ऐसे आये जिनमें आर्थिक तालाबंदी हो गई. उत्तरप्रदेश में देश की 16 प्रतिशत आबादी निवास करती है, लेकिन जीडीपी रसातल में पहुंचा दी गई थी.
यूपी में निवश और बजट हुआ दोगुना - सीएम योगी
सीएम ने अपने संबोधन में उत्तर प्रदेश में बढ़ते निवेश और बजट का जिक्र किया. मुख्यमंत्री ने कहा, यूपी का निर्यात 1,86,060 करोड़ पहुंच चुका है. जिसमें दोगुने से ज्यादा वृद्धि हुई है. 4.87 लाख करोड़ के इजाफे के साथ यूपी का बजट भी दोगुना हो चुका है. इसके अलावा केंद्रीय कर निर्भरता घटकर 46.4 फीसदी रह गयी जबकि राज्य कर की हिस्सेदारी 53.6 प्रतिशत पहुंची है. स्टेट एक्साइज 12,000 करोड़ से बढ़कर अब 2025-26 में 60 हजार करोड़ होने जा रही है.
'फिस्कल हेल्थ इंडेक्स में सुधार, डिजिटल लेनदेन में लगाई छलांग'
मुख्यमंत्री ने कहा, नीति आयोग के फिस्कल हेल्थ इंडेक्स में 8.9 अंकों का सुधार हुआ है. स्वयं के कर संग्रह में उत्तर प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है. यही नहीं यहां ब्याज व्यय अनुपात भी सबसे कम है. प्रदेश में डिजिटल लेन-देन ने भी रफ्तार पकड़ी है. 2017-18 में डिजिटल लेनदेन केवल 122 करोड़ था जो 2024-25 तक बढ़कर 1400 करोड़ रुपये पहुंच चुका है.
GSDP में 2.2 गुना से ज्यादा इजाफा
सीएम ने उत्तर प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के बढ़ने का जिक्र करते हुए कहा, पिछले 8 साल में GSDP 2.2 गुना से ज्यादा बढ़ी है. इस वित्तीय वर्ष के आखिरी तक यह 35 लाख करोड़ रुपये पहुंचने जा रही है. राष्ट्रीय जीडीपी में भी यूपी का योगदान योगदान 8 प्रतिशतसे बढ़कर 9.5 फीसदी हो चुका है. कोविड महामारी के बावजूद भी प्रदेश की आर्थिक विकास दर 15.9% रही. जो कि राष्ट्रीय विकास दर से भी अधिक रही.
प्रति व्यक्ति आय में बड़ा बदलाव
सीएम योगी ने कहा, प्रदेश में साल 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय 52,671 रुपये थी जो 2024-25 में बढ़कर 1.20 लाख रुपये पहुंच चुकी है. दशकों की गिरावट का अंत हुआ है. राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय 2 लाख रुपये है.
औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, साल 1949 से 2017 तक उत्तर प्रदेश में संभावनाओं के बाद भी राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव रहा. 90 के दशक में औद्योगिक इकाइयां ठप हो गईं. निवेशकों में निराशा का माहौल था. ऐतिहासिक नगर, उपजाऊ भूमि, नदियाँ और श्रमबल होने के बावजूद प्रदेश की आर्थिक रफ्तार धीमी थी.
जीडीपी में गिरावट, पिछड़े राज्यों में था यूपी का स्थान
आजादी के बाद से वर्ष 2016–17 तक राष्ट्रीय जीडीपी के योगदान में लगातार गिरावट देखने को मिलती थी. कुल भागीदारी घटकर मात्र 8 प्रतिशत रह गई. वर्ष 1960 के दशक में यह 14% तक था. आजादी के समय प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के बराबर थी, जो लगातार घटकर 2017 में एक तिहाई रह गई. निर्यात भी मात्र 84,000 करोड़ मात्र था जबकि केंद्रीय करों पर 56% निर्भरता रही. नीति आयोग के फिस्कल हेल्थ इंडेक्स में भी यूपी का पिछड़े राज्यों में स्थान था.