UP News: उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों से अब आउटसोर्सिंग कंपनियों को सरकार बाहर करने वाली है. जानकारी के मुताबिक, अब योगी सरकार खुद आउटसोर्स से भर्तियां करेगी. जानिए कर्मचारियों को कैसी मिलेगी सुविधा?
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UP News: यूपी के सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले होने वाली है. रिपोर्ट के मुताबिक, अब योगी आदित्यनाथ सरकार आउटसोर्सिंग कंपनियों को आउट करने वाली है और खुद ही आउटसोर्स से भर्तियां करेगी. इससे भर्तियों के नाम पर न सिर्फ कर्मचारियों का शोषण रुकेगा, बल्कि कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार भी नहीं लटकेगी. सरकार सैलरी सीधे इन कर्मचारियों के अकाउंट में ट्रांसफर करेगी. इसके साथ ही उन्हें सभी सुविधाएं भी योगी सरकार देगी. उन्होंने एक निश्चित मानदेय भी मिलेगा.
कितना होगी कर्मचारियों की सैलरी?
जानकारी के मुताबिक, कर्मचारियों की न्यूनतम मानदेय 16 हजार रुपये होगा. पीएम की सुविधा भी दी जाएगी. सीएम योगी आदित्यनाथ की घोषणा के बाद सरकार जल्द ही आउटसोर्स कर्मचारी भर्ती कॉर्पोरेशन (निगम) बनाने जा रही है. सामान्य प्रशासन विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है. विभाग ने निगम बनाने और उसके कामकाज का पहला ड्राफ्ट तैयार किया है. निगम की ओर से 12 मार्च को नियुक्ति और कार्मिक विभाग समेत बड़े विभागों से निगम के गठन, कर्मचारियों की सेवा शर्तों और वेतन भत्तों के साथ सुविधाओं को लेकर सुझाव मांगे हैं.
क्यों आउटसोर्स कंपनियां होंगी बाहर?
रिपोर्ट्स की मानें तो आउटसोर्स कंपनियों का कुछ खास वजहों से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. जिनमें चार बेहद अहम हैं. आउटसोर्स कंपनियां चलाने वालों में ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं के परिवारजन, रिश्तेदार और दोस्त बड़ी संख्या में हैं. वहीं, कुछ एजेंसियां अच्छे से काम कर रही हैं, लेकिन सरकार के सामने ऐसे भी कई उदाहरण हैं, जब एजेंसियों ने कर्मचारियों को पूरा वेतन हीं दिया. कंपनियों ने कर्मचारियों का पीएफ जमा नहीं कराया. पिछले साल 112 और 1090 की आउटसोर्स कर्मचारियों ने इसको लेकर आंदोलन भी किया था. इसके अलावा एक मीडिया रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया गया कि आउटसोर्स कंपनियां कैंडिडेट्स से रिश्वत लेकर नौकरी दे रही हैं.
महिला कर्मियों को योगी सरकार का तोहफा
आउटसोर्सिंग पर काम करने वाली महिला कर्मचारियों को भी अब मातृत्व अवकाश की सुविधा दी जाएगी. यही नहीं कर्मचारियों के बीमार होने पर उन्हें वेतन के साथ अवकाश की सुविधा भी दी जाएगी. महिला कर्मचारियों को दो बच्चे पैदा होने पर छह महीने यानी 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जाएगा. अवकाश के दौरान सैलरी नहीं कटेगी. यही नहीं बीमार होने की स्थिति में कर्मचारियों को 91 दिनों तक 70 फीसदी सैलरी के साथ छुट्टी दी जाएगी. असाध्य रोग होने पर 309 दिनों तक 80 फीसदी तक सैलरी के साथ छुट्टी मिलेगी. गर्भपात होने पर 42 दिनों की छुट्टी मिलेगी. आउटसोर्स कर्मियों को ईएसआई से इलाज भी मिलेगा. जल्द ही यूपी में आउटसोर्स सेवा निगम तैयार हो जाएगा.
कॉर्पोरेशन की क्या होगी भूमिका?
सामान्य प्रशासन विभाग की मानें तो सभी विभाग उनके यहां आउटसोर्स से होने वाली भर्ती के लिए प्रस्ताव निगम को देंगे. निगम की ओर से उन पदों के लिए वैकेंसी निकाली जाएगी. निगम ही संबंधित विभाग की जरूरत, पद, शैक्षणिक योग्यता और शर्तों के मुताबिक सिलेक्शन कर कर्मचारी देगा. निगम यह भी सुनिश्चित करेगा कि कर्मचारियों का वेतन और अन्य सुविधाएं समय पर मिलें. सेवा शर्तों के मुताबिक, पीएफ की कटौती हो. पीएफ कटौती की राशि ईपीएफओ खाते में जमा हो.
कैसे होगी नियुक्ति?
जानकारी के मुताबिक, ऑनलाउन आवेदन भी लिए जाएंगे. समूह-ख और ग से जुड़े पदों के लिए लिखित परीक्षा के साथ ही इंटरव्यू की व्यवस्था होगी, लेकिन समूह-ग के कुछ पदों और समूह घ के सभी पदों पर उसके लिए आवश्यक शैक्षणिक और तकनीकी योग्यता के आधार पर सीधी भर्ती की जाएगी. आउटसोर्स कर्मचारी एक बार भर्ती होने के बाद काम करते रहेंगे. उनसे एक-एक साल का कांट्रैक्ट साइन कराया जाएगा, लेकिन जब तक कर्मचारी की जरूरत रहेगी, वे संबंधित विभाग में काम करते रहेंगे. किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज हो गया या फिर ऑफिस में सेवा नियमावली के खिलाफ कोई काम किया. दुराचारण या रिश्वत जैसी कोई शिकायत मिली तो उन्हें हटा दिया जाएगा.
प्रमोशन औ इंक्रीमेंट कैसे होगा?
संविदा की तरह आउटसोर्स कर्मचारी की सेवा में प्रमोशन का कोई प्रावधान नहीं होगा. सरकार उनके मानदेय और भत्तों को समय-समय पर बढ़ाती रहेगी. आउटसोर्स कर्मचारी भर्ती निगम के गठन का मुख्य उद्देश्य आउटसोर्स कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी है. उनके मानदेय से पीएफ की कटौती होगी. पीएफ के साथ ही उनका स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा भी होगा. रिपोर्ट्स की मानें तो अनुसूचित जाति को 21%, अनुसूचित जनजाति को 2% और अन्य पिछड़ा वर्ग के युवाओं को 27% आरक्षण दिया जाएगा.
अब नहीं जाएगी नौकरी
सामान्य प्रशासन विभाग की मानें तो निगम बनने के बाद मौजूदा वक्त में आउटसोर्स से काम कर रहे किसी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी. संबंधित एजेंसी का जब तक टेंडर है, वह उस अवधि तक काम करेगी. उसके बाद उस एजेंसी के कर्मचारियों को निगम के जरिए संबंधित विभाग में काम दिया जाएगा. आपको बता दें, नगर विकास, चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य समेत जितने भी विभाग आउटसोर्स से कर्मचारी रखते हैं, उनमें पूरे साल इसकी टेंडर प्रक्रिया चलती रहती है. इससे समय और पैसा दोनों ज्यादा लगता है. इसके साथ ही एक साल बाद एजेंसी बदलने पर आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी भी चली जाती है. कंपनी अपने कर्मचारी तैनात करती है. निगम बनने के बाद सभी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारी की भर्ती निगम ही करेगा.