समझ सकता हूं तिममिलाए क्यों हैं...डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का अखिलेश पर पलटवार, बताया डीएनए खराबी का असली मतलब
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समझ सकता हूं तिममिलाए क्यों हैं...डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का अखिलेश पर पलटवार, बताया डीएनए खराबी का असली मतलब

UP Politics: सपा मीडिया सेल के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के डीएनए पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद माहौल गरमा गया. अब डिप्टी सीएम ने सोशल मीडिया पर लंबा चौड़ा पोस्ट कर अखिलेश यादव पर पलटवार किया है.

समझ सकता हूं तिममिलाए क्यों हैं...डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का अखिलेश पर पलटवार, बताया डीएनए खराबी का असली मतलब

DNA Controversy: डीएनए विवाद को लेकर समाजवादी पार्टी और यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बीच सियासी वार-पलटवार थमने का नाम नहीं ले रहा है. सपा के सोशल मीडिया से की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद उपमुख्यमंत्री पाठक ने अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए सोशल मीडिया  प्लेटफार्म एक्स पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट कर निशाना साधा है.

'डीएनए के सवाल पर भड़के..'
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा,  "अखिलेश यादव जी, आप डीएनए के सवाल पर बहुत भड़के हुए हैं. मैंने ये कह क्या दिया कि समाजवादी पार्टी के डीएनए में ख़राबी है, आप आपे से उसी तरह बाहर हो गए जैसे दस साल पहले यूपी की सत्ता से बाहर हो गए थे. आप इस बात को समझिए कि डीएनए में खराबी से हमारा मतलब किसी व्यक्ति विशेष से नहीं, बल्कि आपकी पार्टी की राजनीतिक सोच से है."

"आपकी प्राथमिकता वोटबैंक की राजनीति"
"डीएनए में खराबी का मतलब ये है कि आपकी पार्टी की राजनीति की बुनियाद ही जातिवाद और तुष्टीकरण पर टिकी रही है और आज भी टिकी हुई है. समाजवादी पार्टी ने कभी सबका साथ-सबका विकास की बात की ही नहीं. आपकी प्राथमिकता ही हमेशा वोटबैंक की राजनीति रही है, नीतियों और आदर्शों से आपका दूर दूर तक का लेना देना नहीं रहा है."

"आपकी पार्टी का जन्म मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति से हुआ"
"मैं आपकी पार्टी के डीएनए में खराबी के मसले को और खुलकर समझा देता हूं. दरअसल मुस्लिम तुष्टिकरण ही आपकी राजनीति का केन्द्रीय हिस्सा रहा है. आप किसी भी राजनीति विज्ञानी से बात कर लें. वो आपको समझा देगा कि आपकी पार्टी का जन्म ही मुस्लिम तुष्टीकरण के डीएनए के साथ हुआ है और आपकी पूरी की पूरी राजनीति की दाल-रोटी भी यही है. वो चाहे शिक्षा नीति हो, नियुक्तियाँ हों या कानून-व्यवस्था के सवाल, आपकी सरकारों ने बार-बार एक ही वर्ग विशेष को खुश करने के लिए बाकी समाज की अनदेखी की है."

"समझा सकता हूं क्यों तिलमिलाए हुए हैं"
"इससे समाज में विभाजन और अविश्वास की खाई और गहरी हुई है. आपने तो बतौर मुख्यमंत्री अपने सिगनेचर से आतंकियों से जुड़े 14 केस एक साथ वापिस लिए हैं ताकि आपकी पार्टी के मुस्लिम तुष्टीकरण वाले डीएनए को खाद पानी मिलता रहे. ऐसे में मैं अच्छी तरह समझा सकता हूं कि डीएनए पर सवाल उठाने से आप इतने तिलमिलाए क्यों हैं. आपको इतना दर्द क्यों हैं."

दलित विरोधी मानसिकता
"आपकी पार्टी का डीएनए तो दलितों के भी खिलाफ रहा है. समाजवादी पार्टी के शासनकाल में बार-बार देखा गया कि दलितों के अधिकारों को कुचला गया, उन्हें राजनीतिक रूप से हाशिए पर रखा गया, और उनके साथ अन्याय की घटनाओं में वृद्धि हुई. यह सिर्फ प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि एक गहरी राजनीतिक मानसिकता को दर्शाता है."

'पार्टी की सोच बदलने की कोशिश करें'
डिप्टी सीएम ने आगे लिखा, "अखिलेश जी, इसलिए जब हम कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के डीएनए में ख़राबी है? तो हमारा सीधा मतलब है? कि यह पार्टी सत्ता के लिए समाज को बाँटने में यक़ीन रखती है. जाति, धर्म और वर्ग को देख कर राजनीति करती है. इसलिए आप कुपित न होइए. हो सके तो खुद को और अपनी पार्टी की सोच को बदलने की कोशिश कीजिए.

एक बात और, आपका और आपकी पार्टी का ट्विटर हैंडल जो भी चलाता है? और जो भी आपको बड़े बड़े पैराग्राफ वाले बयान लिखकर भेजता है, वो तो इतना नादान है? कि उसने आपके जरिए ये कुबूल करवा लिया कि जेपी, लोहिया और राजनारायण जैसे महान नेताओं के समाजवाद को गंदी, पतित और कलुषित गालियों में तब्दील कर देने वाले ये लोग आपके अपने ही हैं. आपने खुद लिखित रूप में ये कुबूल कर लिया है? कि आप पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाएंगे. अब भी कोई शक, कोई संदेह बचा क्या कि आपकी पार्टी का डीएनए ही खराब है?"

'खुद को बदलिए वरना...'
अखिलेश जी, अंत में यही कहूंगा कि अगर आप? बदल सकते हैं तो खुद को बदलिए, अपनी पार्टी के डीएनए को बदलिए वरना आज से लेकर 2027 तक और उसके बाद भी आपको अपनी पार्टी का यही डीएनए परेशान करता रहेगा. अभी तो मैं कह रहा हूं, इसके बाद प्रदेश की एक एक गली से, एक एक मोहल्ले से, एक एक गांव, शहर, ज़िले और यहां तक कि एक एक आम व्यक्ति की जुबां से आपकी पार्टी के इस डीएनए का जिक्र फूटेगा. किस किस को गालियां देते फिरेंगे आप? सो अपना चेहरा साफ कीजिए, आईने से मत झगड़िए. “उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पे थी आइना साफ़ करता रहा.”

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