हिमाचल सरकार ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में रिकॉर्ड चार दिवसीय कैबिनेट बैठक बुलाई है, जिसमें मानसून के मौसम में हाल ही में बादल फटने और बाढ़ से प्रभावित निवासियों की सहायता के लिए एक व्यापक आपदा राहत पैकेज को अंतिम रूप देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
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Himachal Cabinet Meeting: हिमाचल प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में इतिहास की सबसे लंबी चार दिवसीय कैबिनेट बैठक शुरू की है. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य हाल ही में राज्य में हुई बादल फटने और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए समग्र राहत पैकेज को अंतिम रूप देना है.
आपदा पीड़ितों के लिए विस्तृत राहत प्रस्ताव
प्रस्तावित राहत योजना के अनुसार, जिन लोगों के पक्के मकान पूरी तरह तबाह हो गए हैं, उन्हें 7 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी. इसमें से 1.3 लाख रुपये केंद्र सरकार के राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) से मिलेंगे, जबकि शेष राशि राज्य सरकार वहन करेगी.
अन्य राहत प्रावधान:
आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त अस्थायी या कच्चे मकान: ₹1 लाख (₹12,500 केंद्र से, ₹87,500 राज्य से)
गाय/भैंस जैसी पशुधन की क्षति: ₹55,000 (₹17,500 केंद्र, ₹37,500 राज्य)
दुकान या ढाबा पूरी तरह से नष्ट: ₹1 लाख
पशुशाला (काउशेड) नष्ट होने पर: ₹50,000
बाग-बगीचों या कृषि भूमि को नुकसान: ₹10,000
भूस्खलन से नुकसान: ₹5,000
राजस्व विभाग के अधिकारी क्षेत्रीय सर्वेक्षण के आधार पर नुकसान का आकलन कर सहायता राशि निर्धारित करेंगे. कैबिनेट बैठक में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी औपचारिक रूप से राहत प्रस्ताव पेश करेंगे.
राजीव गांधी वन संवर्धन योजना पर भी होगा विचार
मंत्रिमंडल की बैठक में राजीव गांधी वन संवर्धन योजना पर भी चर्चा होगी, जिसका उद्देश्य हिमाचल की वन संपदा को बढ़ावा देना और बंजर व क्षतिग्रस्त वन भूमि पर फलदार पौधे लगाना है.
इस योजना के तहत स्थानीय महिला मंडलों, युवक मंडलों और स्वयं सहायता समूहों को रोजगार से जोड़ने की भी योजना है, जिससे वन संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण भी हो सकेगा.
वन विभाग में स्टाफ की कमी और पर्यावरणीय चुनौतियों को देखते हुए यह योजना राज्य की हरित नीति में एक अहम कदम मानी जा रही है. बैठक में भूमि आवंटन, श्रमिकों के लिए मानदेय जैसे विषयों पर भी फैसला होने की संभावना है.
निजी क्षेत्र को हरित योजना में शामिल करने की तैयारी
कैबिनेट के एजेंडे में ग्रीन अडॉप्शन स्कीम के तहत निजी कंपनियों को वनीकरण के लिए भूमि आवंटित करने का प्रस्ताव भी शामिल है. इसके अलावा कांगड़ा एयरपोर्ट विस्तार कार्य की समयसीमा बढ़ाने से जुड़ा प्रस्ताव भी चर्चा का विषय होगा.