RGNIYD Action on Muslim Students: राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान का मुस्लिम छात्रों के खिलाफ सस्पेंड की कार्रवाई सुर्खियों में है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों पर देश विरोधी गतिविधि का आरोप लगाया है. हालांकि, प्रशासन के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ पीड़ित कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.
Trending Photos
Tamilnadu News Today: तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर स्थित राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान (RGNIYD) ने मास्टर्स के पढ़ाई कर रहे तीन मुस्लिम छात्रों को कथित तौर बेवजह निलंबित कर दिया है, जिसकी वजह से वह अपनो कोर्स का लास्ट सेमेस्ट का पेपर नहीं दे सके. पीड़ित मुस्लिम छात्रों अब इस मामले को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, तीनों मुस्लिम छात्र RGNIYD में सोशल वर्क में मास्टर डिग्री कर रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें मनमाने ढंग से निलंबित कर दिया. छात्रों का कहना है कि बिना किसी ठोस सबूत के उन्हें "फ्री फिलिस्तीन" और "जय भीम" जैसे नारे लगाने के आधार पर देशविरोधी घोषित कर दिया गया.
पीड़ित छात्र असलम एस, सईदा एम ए और निहाल एन अबुल्लैस ने एक संयुक्त बयान जारी कर इसका खुलासा किया. उन्होंने कहा कि 25 मई 2025 को उन्हें RGNIYD प्रशासन ने यह कहते हुए तत्काल निष्कासित और निलंबित कर दिया कि वे कथित तौर पर 'गंभीर अनुशासनहीनता' और हॉस्टल की संपत्ति को देश विरोधी सामानों से खराब करने में शामिल थे. छात्रों ने कहा कि यह कार्रवाई उनके फाइनल ईयर MSW परीक्षा से ठीक एक दिन पहले की गई.
तीनों छात्रों का कहना है, "हम हॉस्टल की दीवारों पर नारे लिखने या उन्हें प्रदर्शित करने में किसी भी तरह से शामिल नहीं थे." उन्होंने कहा, "प्रशासन ने जिन नारों की बात की हैं, उनमें 'फ्री फिलिस्तीन' और 'जय भीम' जैसे शब्द शामिल है, जो किसी भी लिहाज से कानूनी या संवैधानिक मापदंड में देश विरोधी नहीं माने जा सकते हैं. "
छात्रों ने कहा कि अनुशासनात्मक प्रक्रिया पूरी तरह से पक्षपाती और अन्यायपूर्ण है. जांच सिर्फ हॉस्टल की दूसरी मंजिल के कुछ कमरों में ही की गई और हमारे कमरों से कोई आपत्तिजनक चीज नहीं मिली. उन्होंने आगे बताया कि यूनिवर्सिटी अधिकारियों को एक पेंट रोलर, कुछ रंग और एक डिस्पोजेबल प्लेट मिली. जिसके बारे में हमने साफ बताया कि ये हमारे फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट के शैक्षणिक काम के लिए इस्तेमाल हुई थी. इसके बावजूद बिना किसी ठोस या लिखित सबूत के हमें गुनाहगार बना दिया गया.
छात्रों ने बताया कि 23 मई 2025 को उन्हें अनुशासनात्मक सुनवाई के लिए बुलाया गया था, लेकिन वहां किसी तरह की पारदर्शिता नहीं दिखाई पड़ी और न ही इंसाफ मिला. उन्होंने कहा, "हमें कोई सबूत नहीं दिखाया गया, हमें सफाई देने या सवाल पूछने का मौका नहीं मिला और न ही अपनी बात रखने के लिए समय या किसी प्रतिनिधि की इजाजत मिली."
पीड़ित छात्रों का कहना है कि 25 मई की शाम हमें सस्पेंड का आदेश दे दिया गया, जबकि 26 और 27 मई को हमारे फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा थी. इस वजह से हम पूरी तरह योग्य होने के बावजूद परीक्षा में शामिल नहीं हो सके. यूनिवर्सिटी के इस रवैये से छात्र परेशान है. छात्रों ने कहा कि सरकारी आदेश में 'देशविरोधी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना बहुत ही अपमानजनक, गलत है. उन्होंने आगे कहा कि यह हमारे पढ़ाई और करियर के लिए बेहद नुकसानदायक है. अब पीड़ित छात्र इस कार्रवाई के खिलाफ अदालत में केस करने जा रहे हैं.