13-15 जून के बीच इटली सातवीं बार करेगा जी-7 की अध्यक्षता, मेंबर ना होकर भी भारत निभाएगा अहम रोल!
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13-15 जून के बीच इटली सातवीं बार करेगा जी-7 की अध्यक्षता, मेंबर ना होकर भी भारत निभाएगा अहम रोल!

पिछले जी-7 शिखर सम्मेलन की परंपरा के अनुरूप ही जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में इटली द्वारा कई राज्यों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी आमंत्रित किया गया है. जी-7 शिखर सम्मेलन के इस आउटरीच सत्र में यह भारत की 11वीं और पीएम मोदी की 5वीं सहभागिता होगी.

13-15 जून के बीच इटली सातवीं बार करेगा जी-7 की अध्यक्षता,  मेंबर ना होकर भी भारत निभाएगा अहम रोल!

G7 Summit 2024: साल की शुरुआत में 1 जनवरी 2024 को इटली सातवीं बार जी-7 का अध्यक्ष बना है. 50वां जी-7 शिखर सम्मेलन 13-15 जून 2024 को इटली के अपुलिया आयोजित किया जाएगा. शिखर सम्मेलन में सात सदस्य देशों के नेता, साथ ही यूरोपीय काउंसिल के प्रेसीडेंट और यूरोपीयन यूनियन का प्रतिनिधित्व करने वाले यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष एक साथ एक मंच पर इकट्ठा होंगे. 

पिछले जी-7 शिखर सम्मेलन की परंपरा के अनुरूप ही जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में इटली द्वारा कई राज्यों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी आमंत्रित किया गया है. जी-7 शिखर सम्मेलन के इस आउटरीच सत्र में यह भारत की 11वीं और पीएम मोदी की 5वीं सहभागिता होगी.

जी-7 देशों में कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका ने पहले तेल संकट के बाद 1975 में फ़्रांस में जी-6 के रूप में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया था. कनाडा इस समूह में अगले साल शामिल हुआ. 2010-2014 तक, रूस समूह का सदस्य था और तब इसे जी-8 कहा जाता था. जी-7 की बैठक वार्षिक होती है, जिसमें इन राष्ट्रों के नेता हर साल मिलते हैं. समूह की वार्षिक अध्यक्षता सात देशों के बीच बारी-बारी से एक सदस्य देश को सौंपी जाती है. जी-7 एक चार्टर और सचिवालय वाली कोई औपचारिक संस्था नहीं है; जिस सदस्य राष्ट्र के पास अध्यक्षता होती है उसी पर शिखर सम्मेलन के उस साल का एजेंडा तय करने की जिम्मेदारी भी होती है. जी-7 सदस्य देश वर्तमान में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 45% और दुनिया की 10% से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं.

आर्थिक मुद्दों पर अपने शुरुआती फ़ोकस से, जी-7 धीरे-धीरे शांति और सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन सहित प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर समाधान और सर्वमान्य मत खोजने के लिए विचार का एक मंच बन गया है. 2003 से, ग़ैर-सदस्य देशों (एशिया और अफ़्रीका के पारंपरिक रूप से विकासशील देश) को "आउटरीच" सत्र में आमंत्रित किया गया है. जी-7 ने इसके साथ सरकार और तंत्र से अलग ग़ैर-सरकारी हितधारकों के साथ भी बातचीत को बढ़ावा दिया, जिससे व्यापार, नागरिक समाज, श्रम, विज्ञान और शिक्षा, थिंक-टैंक, महिलाओं के अधिकारों और युवाओं से संबंधित मुद्दों पर कई सहभागिता समूहों का निर्माण हुआ है. वे जी-7 के अध्यक्ष देश को अपनी अनुशंसा प्रदान करते हैं.

भारत ने अब तक दस जी-7 शिखर सम्मेलन आउटरीच सत्र में भाग लिया है: 2003 (फ़्रांस), 2005 (यूके), 2006 (रूस), 2007 (जर्मनी), 2008 (जापान), 2009 (इटली), 2019 (फ़्रांस), 2021 (यूके), जर्मनी (2022) और जापान (2023). भारत की ओर से सभी भागीदारी प्रधानमंत्री के स्तर पर रही है. 50वें जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में दो सत्र होंगे. इस संबंध में उपलब्ध विवरण के अनुसार, जी-7 शिखर सम्मेलन के सबसे अधिक ध्यान दिए जाने वाले (फ़ोकस) क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल होंगे:

1. इंडो-पैसिफिक
2. अफ़्रीका
3. जलवायु परिवर्तन
4. पर्यावरण
5. शरणार्थी समस्या (माइग्रेशन)
6. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)

जी-7 के लिए भारत का बढ़ता महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में स्पष्ट हो जाता है. पिछले कुछ सालों में भारत को नियमित रूप से जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में आमंत्रित किया गया है. आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसकी अर्थव्यवस्था जी-7 के तीन सदस्य देशों- फ़्रांस, इटली और कनाडा से भी बड़ी है. भारत ने हाल ही में अपनी जी-20 अध्यक्षता संपन्न की है और भारत ग्लोबल साउथ की एक मज़बूत आवाज़ बन चुका है. भारत ने पिछले जी-7 शिखर सम्मेलन में की गई अपनी भागीदारी में हमेशा ग्लोबल साउथ के मुद्दों को वैश्विक मंच पर मज़बूती से प्रस्तुत किया है.

माननीय प्रधानमंत्री ने 2023 में हिरोशिमा में अपने चौथे जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के दौरान तीन पूर्ण (प्लेनरी) सत्रों में भारत का पक्ष रखा था. पहला सत्र "वर्किंग टुगेदर टु एड्रेस मल्टिपल क्राइसिस" विषय पर था, जिसे भोजन, स्वास्थ्य, विकास और लिंग पर केंद्रित किया गया था. दूसरा सत्र "कॉमन एंडेवर फ़ॉर रिज़िल्यंट एंड सस्टेनेबल प्लैनट" विषय पर आधारित था, जिसे जलवायु, ऊर्जा और पर्यावरण पर केंद्रित किया गया था. तीसरा सत्र "टुवर्ड्स ए पीसफ़ुल, स्टेबल एंड प्रॉस्पेरस वर्ल्ड" विषय पर आधारित था. 

आमंत्रित भागीदार देशों के साथ मिलकर "हिरोशिमा एक्शन प्लान फ़ॉर रिज़िल्यंट ग्लोबल फूड सिक्योरिटी" विषय पर एक संयुक्त दस्तावेज़ (जॉइंट आउटकम डॉक्यूमेंट) अपनाया गया. विश्व के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों और प्रथाओं पर अन्य संदर्भों के बीच, भारत की कुछ प्रमुख वैश्विक पहलों जैसे लाइफ स्टाइल फ़ॉर एनवायरमेंट (लाइफ़-एलआईएफ़ई), इंटरनेशनल इयर ऑफ़ मिलेट्स (वैश्विक बाजरा वर्ष), मिलेट्स ऐंड अदर एंशियंट ग्रेंस इंटरनेशनल रिसर्च इनीशिएटिव (महाऋृषि -एमएएचएआरआईएसएचआई) को इस आउटकम दस्तावेज़ में उल्लेख मिला था.

 

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