पश्चिमी चंपारण में मुस्लिम आबादी लगभग 22 फीसद है बेतिया, रामनगर, नकड़ियागंज जैसे इलाकों में उनके वोट चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. जानिए कैसे मुस्लिम मतदाता चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में मुस्लिम आबादी लगभग 22 फीसद से ज्यादा है, यानी हर 5 में से 1 व्यक्ति मुसलमान है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या लगभग 8.65 लाख थी, जो अब 2025 तक 10 लाख से ज्यादा होने का अनुमान है.
पश्चिमी चंपारण के कुछ विधानसभा क्षेत्रों जैसे बेतिया, रामनगर, नकदीगंज, बगहा और चंपटिया में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है. इसलिए, ये मतदाता किसी भी चुनाव में जीत-हार तय करने की ताकत रखते हैं.
यह पूरा इलाका वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है. पिछले चुनावों में देखा गया है कि जब मुस्लिम वोट एकजुट होते थे, तो विपक्षी दल को मात देते थे. लेकिन अगर मुस्लिम वोट बंट जाते थे, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी जैसी पार्टियों को मिलता था.
इन इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोग ज़्यादातर मेहनत-मज़दूरी, खेती-बाड़ी और छोटे-मोटे काम-धंधों से जुड़े हैं. शिक्षा और रोज़गार के मामले में यह समुदाय अभी भी पिछड़ा हुआ है.
ऐसे में अब उनकी उम्मीदें सिर्फ़ धर्म से जुड़े मुद्दों तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि वे रोज़गार, शिक्षा, अस्पताल और सड़क जैसी बुनियादी चीज़ों की भी मांग कर रहे हैं.
राजनीतिक दल भी इसे बखूबी समझ रहे हैं. चाहे भाजपा-जदयू गठबंधन हो या राजद-कांग्रेस, सभी मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM जैसी कुछ पार्टियां भी यहां उतरने की तैयारी में हैं. अगर ऐसा हुआ तो मुस्लिम वोटों में बिखराव हो सकता है.
कुल मिलाकर, पश्चिमी चंपारण का मुस्लिम समुदाय अब सिर्फ़ वोट बैंक नहीं रहा, बल्कि चुनाव के नतीजे बदलने में एक बड़ा कारक बन गया है. जिस पार्टी को उनका भरोसा मिलेगा, उसकी जीत की राह आसान हो जाएगी.
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