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पिछले 100 सालों में भारत में मुस्लिमों की आबादी कितनी बढ़ी? जानें चौंकाने वाले आंकड़े

Muslim Population in India: एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में मुस्लिम आबादी पिछले 100 सालों में 10 गुना बढ़कर 2 बिलियन से ज्यादा हो गई है. उच्च प्रजनन दर और बड़ी युवा आबादी इसकी मुख्य वजह है. अनुमान है कि 2050 तक मुस्लिम और ईसाई आबादी बराबर हो सकती है. भारत में भी हिंदुओं के साथ मुस्लिमों की भी आबादी में खासा इजाफा हुआ है.

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दुनियाभर में मुस्लिम आबादी में लगातार हो रही तेज बढ़ोतरी एक बड़ा बदलाव ला रही है. मुस्लिम आबादी के बढ़ने की वजह प्रजनन दर के अलावा इस्लाम के प्रति लोगों का बढ़ता रुझान है. अलग-अलग आंकड़े, जिनमें प्यू रिसर्च सेंटर की हालिया रिपोर्ट भी शामिल है, बताते हैं कि अगर मौजूदा रुझान जारी रहा तो 2050 तक दुनिया में मुस्लिम और ईसाई धर्म के मानने वालों की संख्या लगभग बराबर हो सकती है. 

 

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इतना ही नहीं अनुमान है कि 2070 तक मुस्लिम आबादी ईसाई समुदाय से भी आगे निकल जाएगी. प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट बताती है कि 2010 से 2020 के दशक में वैश्विक स्तर पर मुस्लिम आबादी 34.7 करोड़ बढ़कर 194.6 करोड़ हो गई है. इसके साथ ही दुनिया की कुल आबादी में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 25.6 फीसदी हो चुकी है. हालांकि, 100 साल पहले यानी 1925 में स्थिति काफी अलग थी. 

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साल 1925 में पूरी दुनिया में मुसलमानों की आबादी लगभग 200 मिलियन (20 करोड़) के आसपास थी, जो वैश्विक जनसंख्या का लगभग 12 फीसदी हिस्सा थी. आज साल 2025 में यह संख्या 2 बिलियन (200 करोड़) से अधिक हो चुकी है, जो कुल आबादी का लगभग 25 फीसदी है.

 

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दिलचस्प बात यह है कि जहां 1925 में दुनिया की कुल आबादी लगभग 2 बिलियन थी और अब 2025 में यह 8 बिलियन से ज्यादा हो गई है. यानी पिछले सौ सालों में  दुनिया की आबादी में चार गुना इजाफा हुआ है. वहीं मुस्लिम आबादी पिछले 100 सालों में लगभग 10 गुना बढ़ी है.

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भारत की बुसंख्यक आबादी के बाद दूसरी नंबर मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी साफ दिखती है. 1951 की जनगणना के मुताबिक, भारत में मुसलमानों की आबादी 35.4 मिलियन (3.54 करोड़) थी, जो कुल जनसंख्या का 9.8 फीसदी थी. साल 2020 तक यह बढ़कर 14.3 फीसदी हो गई है. जिस गति से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, ऐसे में उम्मीद है कि 2060 तक उनकी संख्या 40 से 50 फीदसी तक बढ़ सकती है.

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इस तेजी से बढ़ती आबादी के पीछे कई वजह हैं. उनमें सबसे पहला है नौजवानों की आबादी. दूसरे मजहबों की तुलना में मुस्लिमों में नौजवानों की संख्या ज्यादा है. आबादी बढ़ने की दूसरी सबसे बड़ी वजह उच्च प्रजनन दर है. इस्लाम धर्म में प्रजनन दर (यानी प्रति महिला बच्चों की संख्या) भी ज्यादा है.

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प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट (2010-2020) के मुताबिक, हर मुस्लिम महिला के तीन से ज्यादा बच्चे हैं. नौजवानों का बड़ा हिस्सा आबादी दुनिया की तरक्की के लिहाज से कई मायने में फायदेमंद बताया जा रहा है. वैश्विक मुस्लिम आबादी का 33 फीसदी हिस्सा 14 साल से कम उम्र का है, जो किसी भी अन्य धर्म से काफी ज्यादा है.

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अमेरिका जैसे देशों में भी मुस्लिम आबादी में प्रवासन के वजह तेजी से इजाफा हुआ है. अनुमान है कि 2030 तक अमेरिका में 6.2 मिलियन (62 लाख) मुस्लिम होंगे और 2050 तक यह संख्या बढ़कर 8.1 मिलियन (81 लाख) हो जाएगी.

 

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