भागलपुर शिक्षा विभाग की एक चूक सामने आई है. कैंसर से मृत एक शिक्षक को प्रमोशन के लिए प्रमाण पत्र की जांच के लिए बुला लिया गया. इससे पहले भी कई बार मृत शिक्षकों से अटेंडेंस और ड्यूटी को लेकर जवाब मांगा जा चुका है.
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भागलपुर जिले के शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. शिक्षा विभाग ने एक ऐसे शिक्षक को प्रमोशन के लिए दस्तावेज जांच के लिए बुलाया है, जिनका निधन हो चुका है. विभाग ने पत्र जारी कर कहा कि शिक्षक को 30 मई, गुरुवार को दोपहर 2 बजे अपने सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ जिला शिक्षा कार्यालय में उपस्थित होना है.
बुधवार देर शाम को जिला शिक्षा कार्यालय की स्थापना शाखा ने 20 शिक्षकों की एक सूची जारी की थी. इस सूची में उन शिक्षकों के नाम थे, जिन्हें स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान में प्रोन्नति के लिए अपने दस्तावेजों की जांच करवानी थी. इन दस्तावेजों में मूल प्रमाण पत्र, सेवा पुस्तिका, प्रवेश पत्र, अंक पत्र और विभागीय अनुमति पत्र शामिल थे. शिक्षकों को इन सभी कागजातों के साथ कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया था.
इस सूची में शाहकुंड प्रखंड के मध्य विद्यालय शिवशंकरपुर के सहायक शिक्षक मनोज कुमार झा का नाम भी शामिल था. लेकिन हैरानी की बात यह है कि मनोज कुमार झा का निधन 22 मार्च 2025 को कैंसर की बीमारी के कारण हो चुका है. उनके स्कूल के प्रधानाध्यापक ने भी इस बात की पुष्टि की है कि मनोज कुमार झा अब इस दुनिया में नहीं हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि शिक्षा विभाग ने इतनी बड़ी गलती कैसे कर दी?
यह कोई पहला मामला नहीं है जब भागलपुर के शिक्षा विभाग ने इस तरह की लापरवाही दिखाई हो. इससे पहले भी विभाग ने मृत और रिटायर हो चुके शिक्षकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था. उदाहरण के लिए, 21 मार्च 2025 को विभाग ने 1388 शिक्षकों को स्कूल में हाजिरी न लगाने के लिए स्पष्टीकरण नोटिस जारी किया था. इस सूची में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे शिक्षक शामिल थे, जो या तो मृत हो चुके थे या सेवानिवृत्त हो चुके थे.
इसी तरह, 8 मई 2025 को कहलगांव प्रखंड के 373 शिक्षकों को स्कूल देर से आने के लिए जवाब मांगने वाला नोटिस भेजा गया था. इस सूची में शिक्षिका उषा कुमारी का नाम भी शामिल था, जिनका निधन 5 फरवरी 2024 को हो चुका था. इन घटनाओं से साफ पता चलता है कि शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड और उनकी कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां हैं.
जिला शिक्षा कार्यालय के स्थापना पदाधिकारी देवनारायण पंडित ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि यह पत्र सिर्फ दस्तावेजों की जांच के लिए जारी किया गया था. अभी किसी भी शिक्षक को प्रोन्नति नहीं दी गई है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर गलती से किसी मृत या रिटायर शिक्षक का नाम सूची में शामिल हो गया है, तो उसे तुरंत हटा दिया जाएगा.
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