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डाड़ी ना हो तो मर जाएंगे चैपी गांव के लोग! नहाना-पीना और खाना सब इसी भरोसे, देखिए तस्वीरें

खूंटी जिले के अड़की प्रखण्ड के दक्षिणी अड़की एक समय नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. वहीं, गांव तक पहुंचने के लिए बीहड़, दुर्गम और जर्जर पथ पर गुजरना पड़ता है. यह तिरला पंचायत के अंतिम गांव चैपी में कई बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

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खूंटी जिले के अड़की प्रखण्ड के दक्षिणी अड़की एक समय नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. वहीं, गांव तक पहुंचने के लिए बीहड़, दुर्गम और जर्जर पथ पर गुजरना पड़ता है. यह तिरला पंचायत के अंतिम गांव चैपी में कई बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. इस चैपी गांव के लोगों को डाड़ी का गंदा पानी पीना पड़ता है. 

 

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गांव में एक जलमीनार बनाया गया पार वो भी आधा अधूरा ठीकेदारी करके छोड़ दिया गया है. जिसका ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं. ऐसा प्रतीत होता है कि केवल ठीकेदारों को लाभ दिलाने मात्र के लिए योजना के मदों का उपयोग किया गया है. 

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इसी में नहाते भी हैं और यही पानी पीते भी हैं ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि गर्मी में डाड़ी भी सूख जाता है तब काफी दिक्कत होती है. तब दो किमी दूर जाकर वहां पर के डाड़ी से पानी लाते हैं और नदी में नहाते हैं.

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लुकमुनि हुन्नी पूर्ति ने बताया कि गर्मी के दिनों में यह डाड़ी भी सूख जाता है. तब हम लोगों को 2 किलोमीटर दूर नदी जाकर पानी लाना पड़ता है. सुमी मुंडरी ने बताया कि गांव में लगभग 350 जनसंख्या हैं. गर्मी और बरसात के दिनों में काफी समस्या हो जाती है. गर्मी में पानी नहीं मिलने से नदी जाकर पानी लाना पड़ता है.

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ग्रामीण संकरी मुण्डू ने बताया कि पानी के लिए एक खेत का डाड़ी ही मात्र साधन है. इसी में नहाते भी हैं और पीते भी हैं. दिव्या मुंडू ने बताया कि गांव में एक भी पानी के लिए और दूसरा साधन नहीं है. गंदा पानी रहता है, लेकिन छानकर पी लेते हैं.

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चैपी गांव खूंटी जिले से 30 किमी दूर पश्चिमी सिंहभूम जिले से सटा जंगली और बिहड़ और दुर्गम इलाका है. जहां के सभी लोग कच्चे मकान में रहते हैं. जिन्हें न तो अबुआ आवास मिल पाया है और न ही प्रधानमंत्री आवास. एक व्यक्ति को केवल अबुआ आवास मिला है. 

 

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वार्ड सदस्य विनोद ने बताया कि यहां के ग्रामीण योजनाओं का लाभ से वंचित हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में किसी का तबियत खराब हो जाय तो इलाज के लिए मुरहू जाना पड़ता है नहीं तो खूंटी जाना पड़ता है. अड़की प्रखंड मुख्यालय भी काफी दूर है. आसपास में उपचार के लिए कोई सुविधा नहीं है. दुर्घटना हो जाए तो किसी प्राईवेट गाड़ी करके जाना पड़ता है.

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चैपी में इनटरनेट नहीं रहने के कारण ग्रामीणों ने बताया कि यहां के ग्रामीणों को ऑफ लाइन ही राशन मिलता है, लेकिन हर महीने किसी न किसी को घट जाता है. गांव में प्रधानमंत्री ग्राम विद्युतीकरण योजना के तहत बिजली पहुंच गई है, लेकिन जब से बिजली पहुंचा है. इस समय दो ट्रांसफार्मर लगाया गया है. एक ट्रांसफार्मर शुरू से ही खराब पड़ा है. जिसका कोई लाभ नहीं होता है. 

 

रिपोर्ट: ब्रजेश कुमार

 

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