मधुश्रावणी व्रत का समापन, नवविवाहिताओं ने निभाई परंपराएं, अग्नि परीक्षा के साथ संपन्न हुआ पूजा अनुष्ठान
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2857474

मधुश्रावणी व्रत का समापन, नवविवाहिताओं ने निभाई परंपराएं, अग्नि परीक्षा के साथ संपन्न हुआ पूजा अनुष्ठान

मुंगेर जिले में मिथिलांचल की परंपराओं के अनुरूप 13 दिनों तक चलने वाले मधुश्रावणी व्रत का समापन रविवार को हुआ. इस व्रत को नवविवाहिताएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं. व्रत के अंतिम दिन उन्हें 'टेमी' देने की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें दीपक की बाती से शरीर पर आठ जगह दागा जाता है.

13 दिनों के मधुश्रावणी व्रत का समापन
13 दिनों के मधुश्रावणी व्रत का समापन

मुंगेर जिले में ब्राह्मण समुदाय की नवविवाहिताओं द्वारा श्रद्धा और आस्था के साथ निभाया गया मधुश्रावणी व्रत रविवार को विधिपूर्वक संपन्न हो गया. यह पर्व हर साल नाग पंचमी के दिन से शुरू होकर 13 दिनों तक चलता है. इस बार इसकी शुरुआत 15 जुलाई से हुई थी. इस विशेष व्रत का उद्देश्य पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है.

मधुश्रावणी व्रत के अंतिम दिन नवविवाहिताओं को एक प्राचीन परंपरा के तहत अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है. पूजा में जले दीप की बाती को आठ अलग-अलग जगहों पर दुल्हन के शरीर से छुआया जाता है, जिसे टेमी देना कहा जाता है. यह परंपरा दुल्हन के भाई द्वारा पूरी की जाती है, जो पान के पत्ते से बहन की आंखें बंद कर इस अनुष्ठान को अंजाम देता है. दाग जितना गहरा होता है, उसे उतना ही शुभ और फलदायक माना जाता है. बाद में चंदन लेप से इन दागों को ठीक किया जाता है.

व्रती महिलाएं इन 13 दिनों तक केवल बिना नमक का भोजन ग्रहण करती हैं और प्रतिदिन सुबह बगीचे से फूल चुनकर पूजा के लिए लाती हैं. इन फूलों से विशेष पूजा की जाती है और उन्हें बाद में कलश के साथ गंगा या किसी नजदीकी नदी में प्रवाहित किया जाता है. पूजा के दौरान सोने-चांदी के नाग-नागिन, मिट्टी से बनी देवी-देवताओं की प्रतिमा भी गंगा में विसर्जित की जाती है.

मधुश्रावणी व्रत का आयोजन जिले के बसंत विहार कॉलोनी, गढ़ी रामपुर, महमदा, चरौन, रामगढ़, जमालपुर के फरीदपुर, चिरैयाबाद, रतैठा, तेघड़ा, मालचक जैसे विभिन्न गांवों में धूमधाम से हुआ. सैकड़ों नवविवाहिताओं ने इस व्रत को पूरे श्रद्धा और नियम के साथ पूरा किया. अंतिम दिन ससुराल से आए सौगातों को भगवान को चढ़ाया गया, साथ ही सुहागन महिलाओं को भोजन भी कराया गया.

अंतिम दिन महिलाओं की टोली ने शिव-पार्वती, गौरी, नाग-नागिन आदि देवी-देवताओं की स्तुति करते हुए गीत गाए, जिससे माहौल भक्तिमय बन गया. इस आयोजन में बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं भी शामिल हुईं और एक पारंपरिक उत्सव का हिस्सा बनीं.

ये भी पढ़ें- चिराग पासवान के अपराध वाले बयान पर भड़के RJD प्रवक्ता

बिहार की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Bihar News in Hindi और पाएं Bihar latest News in Hindi हर पल की जानकारी. बिहार की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news

;