हालांकि यह पार्टी जितनी भव्य थी, उतना ही ज्यादा चर्चा का विषय बना खान सर की पत्नी का घूंघट. पूरी रिसेप्शन के दौरान उनकी पत्नी ने अपने चेहरे से घूंघट नहीं हटाया और घूंघट में ही सभी मेहमानों से मिलीं. खान सर ने भी उन्हें घूंघट में ही रखने का फैसला किया, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई.
सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि एक शिक्षक होने के नाते खान सर को समाज में प्रगतिशील सोच को बढ़ावा देना चाहिए था. कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि जब खान सर हमेशा पर्दा प्रथा और बुर्का जैसे मुद्दों पर बोलते रहे हैं, तो अपनी पत्नी को घूंघट में रखना उनके विचारों के विपरीत क्यों है?
एक यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, "सभी बुराइयों से पर्दा उठाते-उठाते, खुद की बेगम पर्दा प्रथा की शिकार हो गईं." वहीं दूसरे यूजर ने कहा, "21वीं सदी में भी अपनी पत्नी को इस तरह से घूंघट में रखना चिंताजनक है." आलोचना इस बात पर भी हुई कि खान सर की सोच और व्यवहार में अंतर दिखाई दिया.
कुछ लोगों ने खान सर की पत्नी के इस निर्णय का बचाव भी किया है, यह कहते हुए कि शायद यह उनकी व्यक्तिगत पसंद हो सकती है. लेकिन विरोध करने वालों का तर्क है कि किसी महिला की स्वतंत्रता तभी मानी जाएगी, जब वह सामाजिक दबाव से मुक्त होकर फैसला ले.
इस विवाद के बीच, खान सर की तरफ से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. जहां एक ओर रिसेप्शन में शामिल दिग्गजों की मौजूदगी ने इस आयोजन को खास बना दिया, वहीं पत्नी के घूंघट ने इस जश्न को विवादों में घेर लिया है. अब देखना होगा कि खान सर इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.
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