नीतीश सरकार ने बिहार के इंजीनियरों से मांगा 300 करोड़ रुपये का हिसाब, इनके नाम लिस्ट में पहले नंबर पर!
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नीतीश सरकार ने बिहार के इंजीनियरों से मांगा 300 करोड़ रुपये का हिसाब, इनके नाम लिस्ट में पहले नंबर पर!

Bihar Flood : बिहार सरकार ने पिछले साल बाढ़ से बचाव को लेकर इंजीनियरों को 300 करोड़ रुपये दिए थे. इस साल बचाव कार्य में ठीक से कोई कार्य नहीं हुआ है. सीएम नीतीश कुमार ने सभी इंजीनियरों से 300 करोड़ रुपये का हिसाब मांगा है.

नीतीश सरकार ने बिहार के इंजीनियरों से मांगा 300 करोड़ रुपये का हिसाब, इनके नाम लिस्ट में पहले नंबर पर!
नीतीश सरकार ने बिहार के इंजीनियरों से मांगा 300 करोड़ रुपये का हिसाब, इनके नाम लिस्ट में पहले नंबर पर!

पटना: बिहार में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है और गंडक नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. इस स्थिति में लोगों की मदद के लिए राहत और बचाव कार्यों की आवश्यकता है. नीतीश सरकार को अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत है. इस बीच सरकार उन इंजीनियरों और अधिकारियों से निपटने की तैयारी कर रही है, जिन्होंने पिछले साल का हिसाब-किताब अभी तक नहीं दिया है. बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्य के लिए इन लोगों को करोड़ों रुपये की राशि दी गई थी. जल संसाधन विभाग के 10 इंजीनियरों पर सरकार के पैसे को दबाने का आरोप है और वे 300 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दे रहे हैं.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ प्रबंधन कार्यों के लिए यह राशि अग्रिम में दी गई थी, जिसका हिसाब नहीं मिल रहा है. कई बार आग्रह करने के बाद भी कार्यपालक अभियंता ने इन सभी इंजीनियरों को राशि जमा करने की चेतावनी दी है. जिन इंजीनियरों से हिसाब लेना है, उनमें 6 सहायक अभियंता (असिस्टेंट इंजीनियर) और 4 कनीय अभियंता (जूनियर इंजीनियर) शामिल हैं. सरकार को इनसे 299 करोड़ 49 लाख 53 हजार रुपये का हिसाब चाहिए. अगर हिसाब नहीं मिलता है, तो वह बकाया राशि वापस चाहिए.

रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश राशि कनीय अभियंता दबाए बैठे हैं. सकलदेव सिंह नाम के एक जूनियर इंजीनियर अकेले ही करीब 142 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दे रहे हैं. साथ ही पुनपुन नदी के क्षेत्र को बाढ़ से बचाव के लिए यह राशि पिछले साल दी गई थी. अभियंताओं ने इसकी अग्रिम निकासी की थी और वे तब पुनपुर बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल, करबिगहिया (पटना) और वर्तमान में बाढ़ नियंत्रण व जल निस्सरण प्रमंडल, एकंगसराय (नालंदा) में तैनात थे. नियम के अनुसार उन्हें कार्य से संबंधित हिसाब मिलाकर बकाया राशि कोषागार, बैंक खाता या ऑफिस में जमा करनी होती है, लेकिन उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है.

ऐसे में आशंका है कि बकाया राशि का दुरुपयोग किया गया होगा. कार्यपालक अभियंता ने लिखित आदेश दिया है कि दसों अभियंता बची हुई राशि जल्द से जल्द कार्यालय में जमा करें. यह अस्थायी अग्रिम राशि वर्षों से लंबित है, जिसका अभी तक हिसाब नहीं हुआ है. देरी होने पर कार्रवाई की जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न अभियंताओं पर लाखों रुपये की बकाया राशि है, जिसमें रामसेवक मउआर, लालबाबू राय, सुरेंद्र प्रसाद यादव, बीबी कुमार, धरनीधर सिंह, मुक्तेश्वर नाथ उपाध्याय, कमाल अहमद, सकलदेव सिंह और एके प्रसाद शामिल हैं.

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