भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच सीतामढ़ी के जेडीयू सांसद देवेश ठाकुर ने अपना एक साल का मूल वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में दान करने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि देश इस समय युद्ध जैसे हालात में है और सैनिकों को हरसंभव मदद की जरूरत है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की नीति की तारीफ की और ऑपरेशन सिंदूर की महिला सैनिकों को सलाम किया.
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भारत-पाकिस्तान युद्ध जैसे हालातों के बीच जहां पूरा देश एकजुट होकर सेना के साथ खड़ा है, वहीं जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने भी देशभक्ति की मिसाल पेश की है. उन्होंने अपने एक साल के मूल वेतन को प्रधानमंत्री राहत कोष में दान देने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आतंकी हमले से पूरा देश दुखी है और इस समय हम सभी को एकजुट होकर भारतीय सेना का समर्थन करना चाहिए.
सांसद देवेश ठाकुर ने बताया कि एक सांसद को करीब सवा लाख रुपये प्रति माह का मूल वेतन मिलता है. इस हिसाब से उन्होंने लगभग 15 लाख रुपये का चेक प्रधानमंत्री राहत कोष (Prime Minister’s Relief Fund) में देने का निर्णय लिया है. उनका मानना है कि युद्ध जैसे हालात में हमारे सैनिकों को हर तरह से सहयोग मिलना चाहिए ताकि वे बिना किसी कमी के देश की रक्षा कर सकें.
सांसद ठाकुर ने ऑपरेशन सिंदूर की वीरता की भी सराहना की. उन्होंने इस ऑपरेशन को लीड करने वाली महिला कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सैल्यूट किया और कहा कि देश इन बहादुर बेटियों पर गर्व करता है. उन्होंने यह भी कहा कि माता सीता का आशीर्वाद हमेशा हमारे जवानों के साथ है और हमारी भावना उनके साथ अडिग रूप से खड़ी है.
देवेश ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी कि उन्होंने कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या करने वाले आतंकियों को सबक सिखाने के लिए कड़ा कदम उठाया. उन्होंने कहा कि पूरा देश पीएम मोदी के साथ है और उनके नेतृत्व में भारत आतंकवाद को करारा जवाब दे रहा है. देशवासी भारतीय सेना की वीरता और प्रधानमंत्री की निर्णायक नीति को सराह रहे हैं.
सांसद ने बताया कि प्रधानमंत्री से भेंट करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन उन्होंने फिर भी प्रधानमंत्री कार्यालय में जाकर चेक सौंपने का फैसला किया है. उनका यह कदम सिर्फ आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि एक नैतिक समर्थन भी है, जो बताता है कि जनप्रतिनिधि संकट की घड़ी में सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि कृतित्व से भी साथ खड़े हो सकते हैं.
सांसद देवेश ठाकुर का यह कदम न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि यह दर्शाता है कि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों की भूमिका सिर्फ विधायी कार्यों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. जब देश संकट में हो, तो उनकी प्राथमिकता राष्ट्रहित होनी चाहिए. उन्होंने यह पहल कर यह दिखा दिया है कि देश पहले है, राजनीति बाद में.
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